रास्तों के नामकरण पर उठे सवाल

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महानगर की पांच सड़कों के नामकरण किये जाने की प्रक्रिया पर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि निगम के मासिक अधिवेशन में फैसले को पारित किये बगैर ही शहर की पांच सड़कों का नाम बदल दिया गया. नियमानुसार निगम प्रशासन द्वारा लिये गये किसी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:40 PM

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महानगर की पांच सड़कों के नामकरण किये जाने की प्रक्रिया पर विपक्ष ने सवाल खड़ा किया है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि निगम के मासिक अधिवेशन में फैसले को पारित किये बगैर ही शहर की पांच सड़कों का नाम बदल दिया गया. नियमानुसार निगम प्रशासन द्वारा लिये गये किसी फैसले को पहले मेयर परिषद की मंजूरी लेनी पड़ती है, उसके बाद उसे मासिक अधिवेशन में पास करवाया जाता है, तभी वह वैध माना जाता है.

पर पिछले दिनों मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टाउन हॉल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ब्रॉड स्ट्रीट का नाम उस्ताद बड़े गुलाम अली खान सरणी, जीरट ब्रिज का नाम मा सारदामनी सेतु, बर्धवान रोड का नाम पंडित रविशंकर सरणी, संपूर्ण हेस्टिंग्स पार्क रोड एवं बेलभद्र रोड के एक अंश का नाम राम प्रसाद गोयनका सरणी किये जाने का एलान किया था, जबकि इस फैसले को निगम के मासिक अधिवेशन में मंजूरी नहीं दिलवायी गयी थी. सड़कों का नामकरण करने के बाद गुरुवार को हुए निगम के मासिक अधिवेशन में इस फैसले को पारित करवाया गया. इस मुद्दे को उठाते हुए निगम में वाममोरचा के चीफ व्हीप अमल मित्र ने आरोप लगाया कि निगम ने एक गलत परंपरा को जन्म दिया है.

जवाब में मेयर शोभन चटर्जी ने कहा कि निगम एक्ट 1985 की धारा 17 के अनुसार मेयर को विशेष फैसला लेने का अधिकार है, उसी अधिकार के तहत उन्होंने यह कदम उठाया है. इस पर श्री मित्र ने कहा कि इस अधिकार का इस्तेमाल केवल इमरजेंसी की स्थिति में करने का है. किसी सड़क के नामकरण के लिए विशेष अधिकार का इस्तेमाल करना हास्यास्पद है. उन्होंने चेयरमैन से इस फैसले को खारिज करने की मांग की, जिसे चेयरमैन ने ठुकरा दिया. चेयरमैन के इस फैसले से नाराज वाममोरचा के पार्षद सदन से बाहर निकल गये.

Next Article

Exit mobile version