कोलकाता पुस्तक मेला पर भी नोटबंदी की मार

कोलकाता. अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला पर भी नोटबंदी का असर दिखेगा. केवल पुस्तकों की बिक्री ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकें कम मात्रा में दिखेंगी. नकदी की कमी के कारण पुस्तकों की दुबारा छपाई में 1/5 तथा नयी पुस्तकों की छपाई में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. ये बातें पब्लिशर्स एंड […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 14, 2016 12:51 AM
कोलकाता. अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला पर भी नोटबंदी का असर दिखेगा. केवल पुस्तकों की बिक्री ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तकें कम मात्रा में दिखेंगी. नकदी की कमी के कारण पुस्तकों की दुबारा छपाई में 1/5 तथा नयी पुस्तकों की छपाई में 50 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है.

ये बातें पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स गिल्ड के महासचिव त्रिदिव चटर्जी ने मंगलवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कही. उन्होंने ने कहा कि 41 वां अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला 2017 मिलन मेला में 25 जनवरी से पांच फरवरी चलेगा. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 25 जनवरी को पुस्तक मेला का उद्घाटन करेंगी. उन्होंने कहा : हमारी मूल समस्या पुस्तकों के प्रकाशन की है. पुस्तकें कहां से आयेंगी. उन्होंने सवाल किया कि कितने ऐसे श्रमिक हैं, जो पुस्तक छापने या पुस्तकों के बांधने के एवज में पारिश्रमिक चेक से स्वीकार करेंगे. नकदी की कमी का प्रभाव प्रकाशकों पर बुरी तरह से पड़ा है.

उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की पुस्तकें उपलब्ध रहेंगी, क्योंकि अंग्रेजी की पुस्तकें विदेशों से भी आती हैं. नोटबंदी का सबसे ज्यादा प्रभाव क्षेत्रीय प्रकाशकों पर पड़ा है. उन्होंने कहा कि सोमवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सीजीएम पार्थ प्रतिम सेनगुप्ता से मुलाकात की थी तथा नकदी की कमी के मुद्दे पर चर्चा की. मेला में विभिन्न प्रकार के कार्डस् व ई-वॉलेट द्वारा भुगतान की सुविधा रखी जाएगी. लेकिन सबसे पड़ी समस्या सर्वर कनेक्टिविटी की है, क्योंकि स्वाइप मशीन कभी-कभी काम नहीं करती है.

स्टेट बैंक द्वारा पुस्तक मेला में मोबाइल एटीएम मशीन लगायी जायेगी. उन्होंने कहा कि इस वर्ष पुस्तक मेला का फोकल थीम कंट्री कोस्ट रीका है, जबकि रूस को विशेष देश के रूप शामिल किया गया है. इसके अतिरिक्त अंतरराष्ट्रीय कॉम्पलेक्स में ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, चीन, जापान, वियतनाम, बांग्लादेश व 11 लैटिन अमेरिकी देश भी रहेंगे.

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