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गंगासागर में सेवा शिविरों के सामने मुसीबतों का पहाड़

कोलकाता: गंगासागर मेले के आयोजन में जहां इस वर्ष 15 लाख से अधिक पुण्यार्थियों के जुटने की उम्मीद है, वहीं मेले में सेवा शिविर लगाने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के सामने समस्याओं का अंबार लगा दिखता है. प्रशासन की ओर से आधारभूत ढांचे को पूर्ण रूप से दुरुस्त न करने का आरोप लग रहा है. गंगासागर […]

कोलकाता: गंगासागर मेले के आयोजन में जहां इस वर्ष 15 लाख से अधिक पुण्यार्थियों के जुटने की उम्मीद है, वहीं मेले में सेवा शिविर लगाने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के सामने समस्याओं का अंबार लगा दिखता है. प्रशासन की ओर से आधारभूत ढांचे को पूर्ण रूप से दुरुस्त न करने का आरोप लग रहा है. गंगासागर में फिलहाल हालात ऐसे हैं कि अधिकतर स्थल पर पानी लगा हुआ है.

डीएम पीबी सलेम ने पंप के जरिये गत 25 दिसंबर से ही पानी निकालने की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था, लेकिन जमीनी वास्तविकता यह है कि अभी तक यह नहीं हो सका है. वहां शिविर का निर्माण कार्य करनेवाले डेकोरेटर्स के मुताबिक यदि पानी नहीं हटता है तो शिविर के लिए बांस लगाना ही मुश्किल हो जायेगा. ऐसे में पुण्यार्थियों की सेवा कैसे हो सकेगी. कलकत्ता कान्यकुब्ज समाज के सह संयोजक मुकेश शर्मा बताते हैं कि उन्होंने डीएम को हर वर्ष होने वाली समस्या से भी अवगत कराया है.

यह समस्या हर स्वयंसेवी संस्था को होती है. इसमें लॉन्च घाट पर होने वाली दिक्कत प्रमुख है. स्वयंसेवी संस्थाओं को समर्पित कोई जेटी नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ता है. कभी-कभी तो जेटी को ही बदल दिया जाता है, जिससे सैकड़ों लोगों, जिनमें महिलाएं बच्चे भी होते हैं, उन्हें सामान के साथ भारी मुसीबत उठानी पड़ती है. श्री शर्मा कहते हैं कि उन्हें 10 जनवरी से स्थल दिया जाता है, तब वह नौ जनवरी को कच्ची सब्जियों को लेकर निकलते हैं. मान लें कि अगर 25 हजार रुपये की सब्जी ली है तो जाम व अव्यवस्था की वजह से होनेवाली देरी के कारण जब वह पहुंचते हैं तो सब्जियां महज 10 हजार रुपये की रह जाती है. बाकी की कच्ची सब्जियां नष्ट हो जाती हैं. यह समस्या उन्हें हर वर्ष होती है. यदि आवागमन की व्यवस्था को ही सही कर दिया जाये तो 80 फीसदी मुश्किलें कम हो जायेंगी. इसके अलावा उन्हें तीन नंबर रोड के पास शिविर के लिए जगह दी गयी है. वहां पानी और कीचड़ अभी भी लगा हुआ है. शिविर कैसे बनाया जाये? साथ ही कूड़े को फेंकने के लिए शिविर के पीछे गड्ढा खोद कर उसमें दबाने की सलाह उन्हें दी गयी है, लेकिन पीछे तालाब है. गड्ढा आखिर खोदा कहां जाये?

श्री महाशक्ति शिवसागर समिति के महामंत्री भोला प्रसाद सोनकर ने कहा कि शिविर लगाने की जगह पर पानी अभी भी लगा हुआ है. इसके अलावा प्रशासन ने तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए आधारभूत ढांचे के मद में खर्च करना भी कम कर दिया है.

सरकार की ओर से लौटते वक्त गाड़ियां मुहैया कराने की बात कही गयी थी, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है. कुल मिला कर देखा जाये तो इस वर्ष के गंगासागर मेले को सफल बनाने के लिए प्रशासन को युद्धस्तर पर काम करने की जरूरत दिखाई देती है.

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