स्ट्रीट फूड विक्रेताओं को नहीं मिल रहा प्रशिक्षण
कोलकाता. महानगर में कई ऐसे इलाके हैं, जो लजीज व्यंजनों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन ऐसे इलाकों में बिकनेवाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता है. उलटे भोजन को और भी अधिक लजीज बनाने के लिए इनमें घातक कैमिकल मिलाया जाता है, जो हमारे सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता […]
कोलकाता. महानगर में कई ऐसे इलाके हैं, जो लजीज व्यंजनों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन ऐसे इलाकों में बिकनेवाले खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया जाता है. उलटे भोजन को और भी अधिक लजीज बनाने के लिए इनमें घातक कैमिकल मिलाया जाता है, जो हमारे सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.
स्ट्रीट फूड की गुणवत्ता पर ध्यान रखने के लिए गत वर्ष कोलकाता नगर निगम की ओर से विशेष अभियान चलाया गया था. फुटपाथ पर बिकनेवाले भोजन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए निगम एक विशेष योजना पर भी कार्य कर रहा है. इसके तहत भोजन की गुणवत्ता के आधार पर महानगर को ए, बी, सी, डी व इ तक पांच जोन में विभाजित किया जायेगा. गौरतलब हो कि ग्रेडिंगवाले इस सिस्टम को को पूजा से पहले ही लागू किया जाना था.
वहीं इसे लागू करने से पहले निगम की ओर से स्ट्रीट फूड विक्रेता को विशेष वर्कशॉप के जरिये प्रशिक्षण दिये जाने की योजना है, जिसमें खाद्य पदर्थों की गुणवत्ता को ठीक रखने के लिए ट्रेनिंग दी जायेगी. राज्य सरकार की उदासीनता के कारण वर्कशॉप व ग्रेडिंग की योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में है.
खुद मेयर परिषद सदस्य (स्वास्थ्य) अतिन घोष का मानना है कि राज्य सरकार के कुछ अफसरों की उदासीनता के कारण अब तक हम वर्कशाॉप को आयोजित नहीं कर सके हैं. वर्कशॉप कराये जाने तथा ग्रेडिंग स्टिम को चालू करने के लिए निगम को भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) की ओर से अनुमति भी मिल गयी है, लेकिन अब तक राज्य सरकार से अनुमति नहीं मिलने के कारण इसे चालू नहीं किया जा सका है. श्री घोष ने कहा कि इस योजना को चालू करने के लिए निगम के पास धन का अभाव नहीं है. उन्होंने निगम में कर्मियों का अभाव भी एक अन्य कारण बताया.