मुख्यमंत्री ने दी महाश्वेता देवी को भावभीनी श्रद्धांजलि

कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विख्यात लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी को उनकी जयंती के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. शनिवार को महाश्वेता देवी की 91 वीं जयंती के अवसर पर अपने फेसबुक अकाउंट पर मुख्यमंत्री ने लिखा : आज आप हमारे बीच नहीं है. घर जा कर केक काटना भी नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2017 8:01 AM
कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विख्यात लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी को उनकी जयंती के अवसर पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. शनिवार को महाश्वेता देवी की 91 वीं जयंती के अवसर पर अपने फेसबुक अकाउंट पर मुख्यमंत्री ने लिखा : आज आप हमारे बीच नहीं है. घर जा कर केक काटना भी नहीं हुआ. आपकी बहुत याद आ रही है. आप जहां भी रहें, अच्छी रहें.
वहीं ट्वीट करते हुए मुख्यमंत्री ने लिखा : उनके जन्मदिन के अवसर पर महाश्वेता दी को याद कर रही हूं. हम लोग आपकी कमी रोजाना महसूस करते हैं. वह हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी. महाश्वेता देवी का जन्म 14 जनवरी 1926 को ढाका मेंं हुआ था. 28 जुलाई 2016 को 90 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया था. महाश्वेता देवी और ममता बनर्जी के रिश्ते काफी अच्छे थे. मुख्यमंत्री उन्हें अपने अभिभावक के रूप में देखती थीं. उन्होंने भी वाममोरचा सरकार के खिलाफ तृणमूल के आंदोलन में खुल कर ममता बनर्जी का साथ दिया था. महाश्वेता देवी की मौत की खबर सुन कर बेहद भावुक हो उठीं ममता बनर्जी ने कहा था कि आज उन्होंने अपना अभिभावक खो दिया है. मां की मौत के बाद वही मेरी अभिभावक थीं.
सुरजीत सिंह बरनाला के निधन पर भी जताया शोक
मुख्यमंत्री ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला की मौत पर शोक व्यक्त किया है. मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया कि सुरजीत सिंह बरनाला के निधन से दुखी हूं. उनके परिवार, दोस्तों व शुभचिंतकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं. गौरतलब है कि सुरजीत सिंह बरनाला का 92 वर्ष की उम्र में शनिवार को निधन हो गया. उनका जन्म 21 अक्तूबर 1925 को हरियाणा के अटेली में हुआ था. शिरोमणि अकाली दल के सांसद के रूप में वह पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कार्यकाल में पहली बार कृषि मंत्री बने थे. बाद में उन्होंने आैर कई मंत्रालयों की कमान संभाली. खालिस्तान आंदाेलन के समय वह सितंबर 1985 से मई 1987 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. बाद में उन्होंने तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश के राज्यपाल एवं अंडमान निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर के रूप में भी काम किया. उत्तराखंड के गठन के बाद वह राज्य के पहले राज्यपाल बने थे. 1996 में सुरजीत सिंह बरनाला को देश का प्रधानमंत्री बनने का सुनहरा मौका मिला था, लेकिन उनके बेहद करीबी प्रकाश सिंह बादल ने उन्हें बताये बगैर भाजपा से हाथ मिला कर उन्हें देश के इस सबसे सर्वोच्च पद से वंचित कर दिया.

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