कोलकाता : प्रेसिडेंसी कॉलेज (अब यूनिवर्सिटी) के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि प्रेसिडेंसी न केवल राज्य का, बल्कि देश का एक गाैरवशाली संस्थान है. यह संस्थान ज्ञान का एक ऐसा केंद्र है, जहां फैकल्टी के रूप में जगदीश चंद्र बोस, प्रफुल्ल चंद्र राय, पीसी महालनबीस, सत्येंद्रनाथ बोस, मेघनाद साहा जैसे शिक्षाविदों ने इसकी प्रतिष्ठा बढ़ायी है. मुझे इस बात की खुशी है कि प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी अब शिक्षा के क्षेत्र में नये-नये प्रयोग व नयी योजनाओं के साथ काम कर रही है. भारत जैसे देश में इनोवेटिव विचार व नयी योजनाओं के कार्यान्वयन की जरूरत है.
युवा प्रतिभाओं को अगर इनोवेटिव रिसर्च की ओर प्रेरित किया जाये, तो देश काफी तरक्की कर सकता है. राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि केवल किसी संस्थान से डिग्री हासिल करना काफी नहीं है, बल्कि छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ एक बेहतर परिवेश देना व उनके हुनर को विकसित करना ज्यादा महत्वपूर्ण है.
प्रेसिडेंसी डिरोजियो हॉल में प्रेसिडेंसी के इतिहास की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि देश के कई नामी चेहरे प्रेसिडेंसी की ही देन हैं. इसकी स्थापना में हेनरी लुइस, विवियान डिरोजियो, राधा कांता देव, बाबू बुद्धिनाथ मुखर्जी, बाबू गोपी मोहन ठाकुर व अन्य कई विद्वानों का योगदान रहा है. प्रेसिडेंसी से जुड़े श्यामल सेनगुप्ता एवं अशोक सेन ने बेसिक साइंस के क्षेत्र में तथा अमर्त्य सेन अाैर सुखमय चक्रवर्ती ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. पूर्व छात्र के रूप में प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद, मोहम्मद अली बोगरा (पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री) व अबू सइद चाैधरी (बांग्लादेश के पूर्व प्रेसिडेंट) जैसे व्यक्तित्व ने भी प्रेसिडेंसी का गाैरव बढ़ाया है.
अभी प्रेसिडेंसी एल्युमनाई एसोसिएशन के सदस्य भी प्रेसिडेंसी के निरंतर विकास में अपना सहयोग बनाये हुए हैं. नये शिक्षण व रिसर्च कार्यों के जरिये भविष्य में भी प्रेसिडेंसी छात्रों के उज्ज्वल भविष्य में अपनी भूमिका निभाता रहेगा. कार्यक्रम में अंडरग्रेजुएट कोर्स के टॉपर्स छात्रों को मेडल व नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.