अल्पसंख्यक विभाग के कैलेंडर में सीएम के फोटो पर विवाद
कोलकाता: खादी के कैलेंडर पर महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीर प्रकाशित करने को लेकर हुए विवाद के बाद अब पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कैलेंडर को लेकर विवाद शुरू हो गया है. पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ममता बनर्जी की तसवीर के साथ लाखों कैलेंडर प्रकाशित और वितरित […]
कोलकाता: खादी के कैलेंडर पर महात्मा गांधी की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तसवीर प्रकाशित करने को लेकर हुए विवाद के बाद अब पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कैलेंडर को लेकर विवाद शुरू हो गया है. पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने ममता बनर्जी की तसवीर के साथ लाखों कैलेंडर प्रकाशित और वितरित किये हैं.
इस पर कई मुसलमानों का कहना है कि ऐसे कैलेंडर को वे अपने घरों, मसजिदों या मदरसों में नहीं लगा सकते हैं. उनका कहना है कि घर, मसजिद या मदरसा में दीवार पर किसी जीवित व्यक्ति की तसवीर टांगना हराम है. राज्य के इस विभाग ने अपने कैलेंडर में पहली बार किसी की तसवीर को प्रकाशित किया है. इससे पहले के संस्करणों में दफ़्तरों या आलिया विश्वविद्यालय की तसवीरों का इस्तेमाल होता रहा है.
हुगली ज़िले के एक मदरसे में अध्यापक रफ़ीकुल इसलाम का कहना है कि वह इस कैलेंडर का अपने घर पर इस्तेमाल नहीं करेंगे. वह राज्य मदरसा शिक्षक और गैर शिक्षक स्टाफ़ एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. वह कहते हैं कि कैलेंडर में बहुत जरूरी जानकारी होती है, ख़ासकर छात्रवृत्ति के बारे में. साथ ही विभाग की योजनाओं के बारे में भी इससे जानकारी मिलती है, लेकिन इस साल के कैलेंडर को घर या मदरसे में नहीं रखा जा सकता है. इसलाम में जीवित चीज़ों की तसवीर लगाने की इजाज़त नहीं है. इनसे बचा जाना चाहिए. अब्दुल मोमिन को भी ये कैलेंडर हाल ही में मिला है, लेकिन वह भी इसका इस्तेमाल नहीं करेंगे. मोमिन कहते हैं कि हदीस के मुताबिक अगर किसी जीवित चीज़ की तसवीर घर में है, तो फ़रिश्ते घर में नहीं आयेंगे. इसी वजह से मैं इस कैलेंडर को घर, मसजिद या मदरसे में नहीं रख सकता. हालांकि कोलकाता के दो जाने-माने इमामों ने इन तर्कों को नकारते हुए कहा है कि सरकारी संस्थाओं के पास मुख्यमंत्री की तसवीर प्रकाशित करने के अधिकार हैं, लेकिन अगर कोई इसे घर पर नहीं रखना चाहता है, तो वह ऐसा करने के लिए भी स्वतंत्र है.
कोलकाता की चर्चित नाख़ोदा मसजिद के इमाम मोहम्मद शफीक़ ने कहा कि आज की दुनिया में किसके पास तसवीर नहीं होती. जो मुसलमान इस सवाल को उठा रहे हैं, मैं उनसे आग्रह करूंगा कि वे अपनी जेब और घर से सभी नोटों को भी निकाल दें. नोट पर क़ौम के बाबा महात्मा गांधी की तसवीर है. क्या वो ऐसा करेंगे. आज के दौर में ये सवाल उठाना ही हास्यस्पद है. वहीं सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का कहना है कि उसे इस बारे में किसी से कोई शिकायत नहीं मिली है. पश्चिम बंगाल अल्पसंख्यक विकास निगम के चेयरमैन और तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुलतान अहमद कहते हैं, ये कैलेंडर सभी जगह बांटे जा रहे हैं. किसी ने सवाल नहीं उठाया है. हमारा विभाग सभी अल्पसंख्यकों के लिए है, सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं. हम सभी धर्मों के अल्पसंख्यकों के लिए काम करते हैं.