राजनीतिक बांड पर अस्पष्टता, राजनीतिक दलों से बात कर बने नियम : ममता
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आम बजट में राजनीतिक दलों द्वारा 2000 रुपये तक ही नगद चंदा लेने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. हालांकि उन्होंने केंद्रीय वित्त मत्री अरुण जेटली द्वारा बैंक द्वारा चुनावी बांड जारी करने के प्रस्ताव में स्पष्टता न होने की बात कही. उल्लेखनीय है कि आम बजट 2017-18 में […]
कोलकाता : मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आम बजट में राजनीतिक दलों द्वारा 2000 रुपये तक ही नगद चंदा लेने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. हालांकि उन्होंने केंद्रीय वित्त मत्री अरुण जेटली द्वारा बैंक द्वारा चुनावी बांड जारी करने के प्रस्ताव में स्पष्टता न होने की बात कही.
उल्लेखनीय है कि आम बजट 2017-18 में यह प्रावधान किया गया है कि राजनीतिक पार्टी एक व्यक्ति से अधिकतम दो हजार रुपए का नगद चंदा ले सकती है. राजनीतिक दलों की वित्त पोषण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के कदमों के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने प्रस्ताव किया कि राजनीतिक दलों को चंदा लेने में सुविधा के लिए बैंक चुनावी बांड जारी करेंगे, हालांकि राजनीतिक पार्टिंयां चैक या डिजिटल माध्यम से चंदा प्राप्त करने की पात्र होंगी.
प्रत्येक राजनीतिक पार्टी को निर्धारित समय सीमा के भीतर आय कर रिटर्न भरना होगा. राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए जल्द ही अधिकृत बैंकों से चुनावी बांड जारी किए जाएंगे. चंदा देने वाले केवल चैक और डिजिटल भुगतान कर मान्यता प्राप्त बैंकों से बांड खरीद सकते हैं. सुश्री बनर्जी ने कहा कि चुनावी बांड पर अभी भी स्पष्टता नहीं है. इस बारे में सरकार सभी राजनीतिक दलों से बातचीत कर कोई निर्णय ले. उन्होंने कहा कि कई राजनीतिक दल चुनाव के समय पैसा लेते हैं तथा कई व्यापारिक घराने भी पैसा देते हैं. वह बहुत पहले से ही चुनाव व न्यायिक सुधार की मांग कर रही है.
ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह का प्रावधान कर क्षेत्रीय दलों के अस्तित्व को लेकर संकट खड़ा करने की तैयारी चल रही है. उन्हें जंगल में भेजना चाहती है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने उन लोगों से उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के लिए कहा था, लेकिन पैसे के अभाव में वे लोग चुनाव नहीं लड़ पाये. उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात में राजधर्म पालन करने की बात कही थी. डीएमके के मारन जेल से छूट गये हैं. उन्होंने सवाल किया कि नोटबंदी के दौरान माकपा के पास इतने धन कहां से आये? वास्तव में चोर की मां बड़ी-बड़ी बात करती है.