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कमजोर सार्वजनिक बैंकों का हो सकता है विलय

कोलकाता. केंद्र सरकार देश के आर्थिक रूप से कमजोर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय कर सकती है. केंद्र सरकार फिलहाल दिसंबर 2016 (तीसरी तिमाही) व मार्च 2017 (चौथी तिमाही) के परिणामों का इंतजार कर रही है. यह प्रतिक्रिया शुक्रवार को कलकत्ता चेंबर आॅफ कॉमर्स की ओर से बजट पर आयोजित परिचर्चा के दौरान यूबीआइ […]

कोलकाता. केंद्र सरकार देश के आर्थिक रूप से कमजोर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय कर सकती है. केंद्र सरकार फिलहाल दिसंबर 2016 (तीसरी तिमाही) व मार्च 2017 (चौथी तिमाही) के परिणामों का इंतजार कर रही है. यह प्रतिक्रिया शुक्रवार को कलकत्ता चेंबर आॅफ कॉमर्स की ओर से बजट पर आयोजित परिचर्चा के दौरान यूबीआइ के प्रबंध निदेशक व सीईओ पवन कुमार बजाज ने दी. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार ने अब तक इस संबंध में औपचारिक रूप से कोई घोषणा नहीं की है.

फिलहाल केंद्र सरकार एसबीआइ से संबंधित छोटे बैंकों का विलय कर रही है. साथ ही बजट में बैंकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिये गये 10,000 करोड़ की राशि को उन्होंने अपर्याप्त बताया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में वर्ष 2017-18 व वर्ष 2018-19 के वित्त वर्ष के लिए 10,000 करोड़ रुपये (प्रति वर्ष) देने की घोषणा की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.

वहीं, नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा हुए रुपये के संबंध में उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद कहा जा रहा है कि बैंकों में काफी रुपये आये हैं, लेकिन इस बारे में सही जानकारी 31 मार्च 2017 के बाद ही मिल पायेगी. इस मौके पर सार्क चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष विनोद जुनेजा ने केंद्र सरकार के बजट को संतुलित व विकासोन्मुखी करार दिया. बजट परिचर्चा के दौरान केपीएमजी के पार्टनर विक्रम नायक, केपीएमजी के एसोसिएट निदेशक राजर्षि दासगुप्ता, इंडिट्रेड कैपिटल लिमिटेड के ग्रुप चेयरमैन सुदीप बंद्योपाध्याय व कलकत्ता चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष दिनेश जैन ने अपने विचार रखे.

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