टाइमपास नहीं है भागवत चर्चा : रमेश भाई ओझा

कोलकाता : भागवत चर्चा टाइमपास नहीं है. इससे जीवन में सकारात्मक दृष्टि मिलती है. व्यक्ति के जीवन में तरह-तरह की समस्याएं होती हैं. भगवत चर्चा में कोई न कोई रास्ता मिल जाता है. स्वर्गीय आरपी गोयनका मुझसे कहते थे कि आप आराम करने के लिए कलकत्ता पधारें. इसी बहाने कुछ भागवत चर्चा भी हो जायेगी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 9, 2017 8:57 AM
कोलकाता : भागवत चर्चा टाइमपास नहीं है. इससे जीवन में सकारात्मक दृष्टि मिलती है. व्यक्ति के जीवन में तरह-तरह की समस्याएं होती हैं. भगवत चर्चा में कोई न कोई रास्ता मिल जाता है. स्वर्गीय आरपी गोयनका मुझसे कहते थे कि आप आराम करने के लिए कलकत्ता पधारें.
इसी बहाने कुछ भागवत चर्चा भी हो जायेगी. भागवत चर्चा और भजन करने से परम विश्राम का अनुभव होता है. किसी भी मंदिर में हम दर्शन करने के लिए जाते हैं तो प्रधान देव के अलावा उसमें हनुमान और गणेशजी अनिवार्य रूप से रहते हैं. हनुमानजी बल, बुद्धि और विद्या के देवता हैं. सीता की खोज करने के लिए जब वानरो की सेना समुद्र के पास पहुंची तो विशाल समुद्र को देख कर आपस में अपने बल का अनुमान करने लगे. अंगद ने कहा कि वह सौ योजन के समुद्र को पार तो कर सकते हैं लेकिन लौटने में संदेह हैं.
वानरों ने कहा कि वह उनके नायक हैं और उन्हें लेकर जोखिम नहीं उठाया जा सकता. इस दौरान हनुमान जी चुपचाप बैठे थे. जामवंत ने हनुमान से उनकी चुप्पी का कारण पूछा. उन्होेंने कहा कि तुम्हारा जन्म तो रामकाज के लिए ही हुआ है. अपने जोशीले वचनों से जामवंत ने हनुमान की शक्ति को जाग्रत किया. इसी तरह बुजुर्गों को चाहिए कि युवाओं को उनकी शक्ति से परिचय कराते रहे. जवानी को व्यसन में बरबाद नहीं करना चाहिए. यौवन जीवन का महत्वपूर्ण समय है. हमारा देश संसार में सबसे युवा राष्ट्र है.
राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की शक्ति का उपयोग करना चाहिए. युवा निष्ठापूर्वक अपने कर्मक्षेत्र में शिखर पर पहुंचे. हमारी बच्चियों को देखें कि वह भी ओलंपिक में मेडल ला रही हैं. मन भगवान की विभूति है. मन ईश्वर है. हमें बौद्धिक और भावनात्मक रूप से समृद्ध होना चाहिए. ये बातें महालक्ष्मी मंदिर के तत्वावधान में हनुमंत चरित्र पर प्रवचन करते हुए पूज्य भाई श्री रमेश भाई ओझा ने मंदिर सभागार में कही.

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