धर्मनिष्ठ समाजसेवी हरमुख राय कानोड़िया नहीं रहे
कोलकाता. अनासक्त कर्मयोगी व धर्मनिष्ठ समाजसेवी हरमुख राय कानोड़िया नहीं रहे. 5 फरवरी 2017 की सुबह अचानक हृदयाघात की वजह से उनका देहावसान हो गया. 82 वर्ष के श्री कानोड़िया अपने पीछे धर्मपत्नी सुमित्रा देवी, तीन पुत्रों सुरेंद्र, श्रीकिशन और निर्मल सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं. उनके अचानक प्रयाण के समाचार से धर्म, […]
कोलकाता. अनासक्त कर्मयोगी व धर्मनिष्ठ समाजसेवी हरमुख राय कानोड़िया नहीं रहे. 5 फरवरी 2017 की सुबह अचानक हृदयाघात की वजह से उनका देहावसान हो गया. 82 वर्ष के श्री कानोड़िया अपने पीछे धर्मपत्नी सुमित्रा देवी, तीन पुत्रों सुरेंद्र, श्रीकिशन और निर्मल सहित भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं.
उनके अचानक प्रयाण के समाचार से धर्म, संस्कृति व सामाजिक क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गयी. महानगर की अनेक सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़े दिवंगत कानोड़िया जी श्री ब्रह्मर्षि आश्रम (तिरुपति) की कोलकाता शाखा के अध्यक्ष, साल्टलेक शिक्षा निकेतन व अग्रसेन सेवा समिति के ट्रस्टी, मदन मोहन सेवा ट्रस्ट (कोलकाता-बाराद्वार) के संस्थापक ट्रस्टी व जय श्री श्याम सेवा संघ के मुख्य संरक्षक होने के साथ ही साल्टलेक संस्कृति संसद, अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन, विशुद्धानंद हाॅस्पिटल, मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी, आनंदलोक, हरियाणा नागरिक संघ, कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी, मेहंदीपुर बालाजी संघ, श्री सालासर बालाजी सेवक वृंद (बांधाघाट), बाबा गंगाराम सेवा समिति कोलकाता, श्री श्याम मंदिर आलमबाजार से भी सक्रिय रुप से संबद्ध थे.
उन्हें श्रद्धांजलि देने हेतु अनेक गणमान्य लोग उनके निवास पर पहुंचे, जिनमें एसआरएमबी के बृजमोहन बेरीवाल, डालमिया सेक्युरिटीज के नारायण प्रसाद डालमिया, साल्टलेक सांस्कृतिक संसद के अध्यक्ष विश्वनाथ भुवालका, सत्यनारायण सोनी, कन्हैयालाल कोठारी व बाबूलाल सिंघी, आनंदलोक के देवकुमार सराफ, जय श्री श्याम सेवा संघ के संरक्षक गणेशदास चैधरी व अध्यक्ष रविंद्र केजरीवाल ‘रवि’, श्री ब्रह्मर्षि आश्रम, तिरुपति की कोलकाता शाखा की ओर से अजित सुराना, सिद्धार्थ मालू, अशोक मूंधड़ा व सौरभ सुराना, मदन माेहन सेवा ट्रस्ट के पवन बगड़िया, सुशील पोद्दार, किशनलाल चमड़िया, दीपक सराफ के अलावा अरुन लड्ढा, महावीर प्रसाद सांवरिया, अखिलेश जैन, दिनेश जैन, लक्ष्मण प्रसाद व्यास शामिल थे.
उनका अंतिम संस्कार निमतल्ला महाश्मशान में हुआ, जहां पर भी अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे. निजी प्रचार और दिखावे से दूर रह कर परोपकार में तन-मन-धन से समर्पित रहनेवाले उदारमना व्यक्तित्व के धनी हरमुख राय कानोड़िया के अकस्मात प्रयाण से समाज की, जो अपूरर्णीय क्षति हुई है, उसकी पूर्ति असंभव है.