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भविष्य निधि से टकराव के कारण बंद हो गया सस्ते में इलाज करने वालाआनंदलोक अस्पताल, ममता तक पहुंचा मामला

कोलकाता : आनंदलोक अस्पताल की सभी शाखाएं मंगलवार से बंद हो जायेंगी. आनंदलोक के प्रमुख देव कुमार सराफ ने बताया कि भविष्य निधि (पीएफ) आयुक्त की ज्यादती के कारण मंगलवार से अस्पताल को बंद करने का निर्णय लिया गया है. श्री सराफ ने कहा कि बहुत ही दु:ख के साथ वह यह निर्णय लेने के […]

कोलकाता : आनंदलोक अस्पताल की सभी शाखाएं मंगलवार से बंद हो जायेंगी. आनंदलोक के प्रमुख देव कुमार सराफ ने बताया कि भविष्य निधि (पीएफ) आयुक्त की ज्यादती के कारण मंगलवार से अस्पताल को बंद करने का निर्णय लिया गया है. श्री सराफ ने कहा कि बहुत ही दु:ख के साथ वह यह निर्णय लेने के लिए मजबूर हुए हैं.
इससे अस्पताल की विभिन्न शाखाओं में कार्यरत लगभग 1550 कर्मचारियों, मेडिकल स्टाफ व डॉक्टरों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया है. अस्पताल बंद करने के निर्णय के बाबत प्रबंधन की ओर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्य सचिवालय ‘नवान्न’ में पत्र भेज कर जानकारी दी गयी है.

गौरतलब है कि अानंदलोक संस्था चालित दातव्य अस्पताल है तथा समाज सेवा के मद्देनजर अस्पताल की स्थापना की गयी है. अन्य अस्पतालों की तुलना में यहां काफी कम खर्च पर चिकित्सा होती रही है. श्री सराफ ने कहा कि अस्पताल में 48 रोगियों का मंगलवार को ऑपरेशन होना था. इन रोगियों को अन्यत्र स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है. इनका खर्च अस्पताल प्रबंधन की ओर से वहन किया जायेगा. फिलहाल कोलकाता की विभिन्न शाखाओं में 120 मरीज भरती हैं. मंगलवार से किसी भी शाखा में नये रोगियों की भरती नहीं होगी.

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने 12 जनवरी को अस्पताल प्रबंधन को दिया है पत्र
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय कार्यालय (कोलकाता) के भविष्य निधि आयुक्त-2(डैमेज) परितोष कुमार की ओर से दिये गये पत्र में कहा गया है कि इपीएफ एंड एमपी एक्ट, 1952 के तहत मार्च, 2009 से अगस्त, 2016 तक पीएफ का भुगतान नहीं करने की जुर्माना राशि 4,64,239 रुपये है. नियमानुसार प्रत्येक नियोक्ता को प्रत्येक माह के 15 दिन के अंदर यह राशि जमा करनी होती है, लेकिन यह राशि जमा नहीं करने पर जर्माना राशि का भुगतान पत्र पाने के आठ दिनों के अंदर करनी होगी.
क्या हुआ विवाद
जानकारी के अनुसार कर्मचारियों के पीएफ बकाये को लेकर भविष्य निधि संगठन से अस्पताल प्रबंधन का विवाद पैदा हुअा है. अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आरोप लगाया कि कुछ समय पहले पीएफ कार्यालय के एक सीिनयर अधिकारी इलाज के लिए आये. चिकित्सा लागत के भुगतान को लेकर विवाद हुआ था. अस्पताल प्रबंधन ने उनकी बातें मानन से इनकार कर दिया था. इसके बाद ही कर्मचारियों की भविष्य निधि का पैसा सही समय पर जमा नहीं करने का आरोप लगाते हुए अस्पताल के अकाउंट से भविष्य निधि संगठन कार्यालय ने लगभग डेढ़ साल पहले 17 लाख रुपये काट लिये. अस्पताल की ओर से कहा गया कि प्रत्येक माह के पहले हफ्ते में वेतन का भुगतान कर दिया जाता है व 15 दिनों के अंदर पीएफ राशि जमा कर दी जाती है. अस्पताल के वरिष्ठ पदाधिकारी का कहना है कि हाल में फिर पीएफ कार्यालय की ओर से पत्र आया कि अस्पताल पर नौ लाख रुपये का पीएफ बकाया है. यह बकाया 2009 और 2016 के बीच का है और उनके अकाउंट से फिर पैसे काट लिये जायेंगे. ऐसी स्थिति में अब अस्पताल चलाना नामुमकिन हो गया है. इस कारण ही अस्पताल बंद करने का निर्णय किया गया है.

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