इतिहास का हिस्सा बनने के करीब भिश्ती

कभी महानगर में जलापूर्ति के मुख्य साधन थे मुश्ताक खान कोलकाता : महानगर वासियों ने शहर के कुछ इलाकों में बकरी के चमड़े से निर्मित एक बड़े बैग में पानी लेकर रास्ते से गुजरते हुए लोगों को देखा होगा. इन्हें भिश्ती कहते हैं. पानी से भरे उक्त थैलेनुमा वस्तु को मस्क कहा जाता है. एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 10, 2017 9:11 AM
कभी महानगर में जलापूर्ति के मुख्य साधन थे
मुश्ताक खान
कोलकाता : महानगर वासियों ने शहर के कुछ इलाकों में बकरी के चमड़े से निर्मित एक बड़े बैग में पानी लेकर रास्ते से गुजरते हुए लोगों को देखा होगा. इन्हें भिश्ती कहते हैं. पानी से भरे उक्त थैलेनुमा वस्तु को मस्क कहा जाता है. एक समय में भिश्ती महानगर की सामाजिक व्यवस्था का एक जरूरी हिस्सा थे. वे घरेलू एवं सार्वजनिक स्थानों में जलापूर्ति के मुख्य साधन थे.
मुश्किल के दौर में भिश्ती
बहुत दिन नहीं गुजरे जब भिश्ती मध्य कोलकाताव पार्क सर्कस इलाकों में पानी से भरे मस्क के साथ नजर आते थे. यह लोग इन इलाकों में रहने वाले एंग्लो-इंडियन एवं चीनियों के घरों में पानी पहुंचाया करते थे. लेकिन अब इन पुरानी इमारतों के स्थान पर आधुनिक बहुमंजिली इमारतें बन गयी हैं आैर भिश्ती की जगह टुल्लू पंप ने ले लिया है. आज बउबाजार के बो बैरेक व जकरिया स्ट्रीट में इक्का-दुक्का भिश्ती मस्क द्वारा पानी की सप्लाई करते गाहे-बेगाहे नजर आ जाते हैं.
एक भिश्ती ने कहा कि हमलोग बेहद कठिन परिस्थिति का सामना कर रहे हैं. आबादी काफी बढ़ गयी है. पहले के मुकाबले कोलकाता नगर निगम द्वारा पानी की आपूर्ति भी बेहतर हो चुकी है. नलों पर हर वक्त लोगों की भीड़ लगी रहती है. अधिकतर चापाकल (हैंडपंप) बन चुके हैं. ऐसे में हमारे लिए पानी की आपूर्ति करना बेहद मुश्किल हो गया है. इनकी हालत देख कर लगता है कि जल्द ही कोलकाता के भिश्ती इतिहास का एक हिस्सा बन जायेंगे आैर हम केवल उन्हें संग्रहालय में ही देख पायेंगे. नयी पीढ़ी केवल किताबों व गूगल में इनके बारे में जान पायेगी.
क्या है भिश्ती का अर्थ
भिश्ती शब्द फारसी शब्द बिहिश्त से बना है, जिसका अर्थ जन्नत होता है. पुराने जमाने में यह कहा जाता था कि लोगों की प्यास बुझाने वाला बिहिश्त अर्थात स्वर्ग में जायेगा. इसलिए इनका नाम भिश्ती पड़ गया.
कभी थी काफी मांग
ब्रिटिश शासनकाल में भिश्तियों की काफी मांग थी. आमतौर पर बड़ी इमारतों में ऊपरी मंजिलों पर रहनेवाले संभ्रांत लोगों के घरों में पानी पहुंचाने का काम यही करते थे. भिश्ती कभी कलकत्ता नगर निगम (सीएमसी) के कर्मचारी हुआ करते थे. लेकिन गाड़ियों से पानी की सप्लाई शुरू होने के बाद इनकी हैसियत कम होती गयी.

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