कोलकाता : मरीज के सीने में था दर्द, काट दिया पैर, हुई मौत

!!विकास/ शिव राउत!! कोलकाता : सुनील पांडेय के सीने में दर्द की शिकायत के बाद कोलकाता स्थित मेडिका सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में स्टेंट लगाने, पैर काटे जाने और इलाज के दौरान मौत को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गंभीरता से लिया है़ उनके निर्देश पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सुनील पांडेय की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2017 6:27 AM

!!विकास/ शिव राउत!!

कोलकाता : सुनील पांडेय के सीने में दर्द की शिकायत के बाद कोलकाता स्थित मेडिका सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में स्टेंट लगाने, पैर काटे जाने और इलाज के दौरान मौत को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गंभीरता से लिया है़ उनके निर्देश पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सुनील पांडेय की मौत की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है़ इसमें कलकत्ता मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डॉ प्लान मुखर्जी, एसएसकेएम (पीजी) जनरल मेडिसीन विभाग के सौमित्र घोष तथा पीजी के ऑर्थोपेडिकल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आनंद किशोर पाल जांच कमेटी में शामिल किये गये हैं. कमेटी को सात दिन के भीतर स्वास्थ्य विभाग में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया है.

पत्नी की आरोप : छुट्टी पर थे डॉक्टर

सुनील की पत्नी सुजाता पांडे का आरोप है कि मेरे पति को अस्पताल लाया गया था, उस समय उनकी तबीयत उतनी खराब नहीं थी. इसके अलावा होली के कारण अस्पताल में रविवार व सोमवार को अस्पताल में पर्याप्त चिकित्सक भी नहीं थे. इससे पति का उचित इलाज नहीं हो सका. ऑपरेशन में पैर काट दिया गया. इससे ही उनके पति की मौत हुई.

नहीं मिला पैर का हिस्सा

वहीं, पूर्व यादवपुर थाने के जांच अधिकारी ने बताया कि जांच शुरू कर दी गयी है. मरीज के जिस पैर को काटा गया, जांच के सिलसिले में उसे कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजना था, लेकिन अस्पताल की तरफ से पैर डिस्पोज (नष्ट) कर देने की जानकारी दी गयी. यह डिस्पोज किसके कहने पर हुई, इसका जबाव नहीं मिल सका है. अब चिकित्सा से जुड़े अस्पताल के चिकित्सकों को पूछताछ के लिए नोटिस भेजने की तैयारी है.

क्या कहना है अस्पताल का

मेडिका का कहना है कि मरीज को थ्रोमबस इम्बोलाइजेशन की शिकायत हुई थी. इस बीमारी में आर्टरी में रक्त का थक्का बन जाता है और रक्तस्त्राव होना बंद हो जाता है. इससे वहां सुन्न हो जाता है तथा यह टॉक्सिक होने लगता है. इसके लिए पहले टॉक्सिक लाइन का निर्धारण किया जाता है. उसकी पहचान होने के बाद ही पैर काटने का निर्णय लिया गया था.

क्या कहना है शिकायतकर्ता का

मृतक के भाई राजू पांडेय ने बताया कि सीने में दर्द की शिकायत पर सुनील पांडेय को मेडिका अस्पताल में भरती किया गया था. अस्पताल में उसकी एंजियोग्राफी की गयी. इस दौरान पैर में रक्तस्राव होने लगा. संक्रमण हो गया. तब चिकित्सकों ने 11 मार्च को ऑपरेशन कर सुनील का बायां पैर काट दिया. दो दिन बाद यानी 13 मार्च को उसकी मौत हो गयी. इसके बाद मृतक के परिजनों ने पूर्व यादवपुर थाने में शिकायत दर्ज करायी़ वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिल कर न्याय की गुहार लगायी़.

Next Article

Exit mobile version