बीते सात जनवरी को भारत सरकार ने कस्टम अधिसूचना संख्या 01/2017-कस्ट्म्स के तहत बांग्लादेश से होनेवाले जूट उत्पादों के आयात पर 20 डॉलर से लेकर 351 डॉलर प्रति मिट्रिक टन एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने की अधिसूचना जारी की है.
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जूट उत्पादों के आयात पर लगी एंटी डंपिंग ड्यूटी पर जतायी चिंता
कोलकाता: जूट प्रोडक्ट्स इंपोर्टर्स एसोसिएशन (जेपीअाइए) ने बांग्लादेश से होनेवाले जूट उत्पादों के आयात पर लगे एंटी डंपिंग ड्यूटी पर गहरी चिंता जतायी है. इस बाबत एसोसिएशन की ओर से केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन एंटी डंपिंग एंड एलाइड ड्यूटीज के डॉयरेक्टर जनरल को पत्र लिख कर बांग्लादेश से आयात होनेवाले जूट उत्पादों […]
कोलकाता: जूट प्रोडक्ट्स इंपोर्टर्स एसोसिएशन (जेपीअाइए) ने बांग्लादेश से होनेवाले जूट उत्पादों के आयात पर लगे एंटी डंपिंग ड्यूटी पर गहरी चिंता जतायी है. इस बाबत एसोसिएशन की ओर से केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन एंटी डंपिंग एंड एलाइड ड्यूटीज के डॉयरेक्टर जनरल को पत्र लिख कर बांग्लादेश से आयात होनेवाले जूट उत्पादों पर लगे एंटी डंपिंग ड्यूटी वापस लेने या फिर नेपाल से आयात होनेवाले जूट उत्पादों पर लगे एंटी डंपिंग ड्यूटी 15 से 36 डॉलर प्रति मिट्रिक टन करने की मांग की.
क्या कहना है जेपीआइए का : जेपीआइए के अध्यक्ष संदीप सराफ का कहना है कि एसोसिएशन की ओर से 24 फरवरी को केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय के अधीन एंटी डंपिंग एंड एलाइड ड्यूटीज के डॉयरेक्टर जनरल को पत्र लिखा गया है. इसमें भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश से होने आयात होने वाले जूट उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी को तुरंत वापस लेने की मांग की गयी है. उन्होंने कहा कि एंटी डंपिंग ड्यूटी लगने के प्रभाव के कारण न केवल उपभोक्ताओं को जूट के बोरे खरीदने के लिए अत्यधिक कीमत देनी पड़ रही है, वरन इससे कीमत में इजाफा भी हुआ है. यदि एंटी डंपिंग शुल्क घटाया जाता है, तो कम कीमत रहने से उपभोक्ताओं को इको फ्रेंडली व बॉयोडिग्रेडेबल उत्पादों को प्रोत्साहित करेगा तथा प्लास्टिक के बैग के इस्तेमाल भी कम होगा. इससे केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को भी मदद मिलेगी.
एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का पड़ा प्रभाव
जेपीआइए के सदस्य अशोक गोयल का दावा है कि एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने से बांग्लादेश से आयात होने वाले जूट उत्पादों की मात्रा घट गयी. एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाये जाने के पहले प्रति माह 10 हजार से 12000 टन जूट उत्पादों का बांग्लादेश से आयात होता था, लेकिन अब यह घट कर 3000 से 4000 टन रह गया है. बांग्लादेश के जूट उत्पाद भारत की तुलना में गुणवत्ता की दृष्टि से अच्छे हैं. इस कारण इनकी बाजार में ज्यादा मांग हैं.
जूट के बोरो की मांग व आपूर्ति का दावा
जूट आयात के कारोबार से जुड़े कारोबारी का दावा है कि सरकारी स्तर पर प्रत्येक वर्ष लगभग 20 लाख गांठ जूट बोरों की मांग है. सरकारी स्तर पर चीनी और अनाजों के लिए बोरो की जरूरत के साथ-साथ खुले बाजार में प्रति वर्ष लगभग 60 लाख टन गांठ बोरों की जरूरत होती है. 1987 के जूट पैकेजिंग मेटेरियल एक्ट (जेपीएम एक्ट) के अनुसार चीनी के लिए 20 फीसदी तथा अनाज के के लिए 100 फीसदी जूट के बोरों का इस्तेमाल बाध्यतामूलक है. इनकी आपूर्ति जूट मिलों द्वारा की जाती है. जूट मिलों द्वारा सरकार की जरूरत के अनुसार बोरो की सप्लाई की जाती है.
19 लाख गांठ की मांग नहीं पूरी कर पायी जूट मिलें: जूट उपायुक्त दीपांकर महतो द्वारा सात फरवरी को दिये गये आदेश संख्या जूट (मार्केटिंग)/2/2003 में कहा गया है कि खरीफ : 2016-17 तथा आगामी खरीफ : 2017-18 के लिए भारतीय खाद्य निगम ने 19 लाख जूट के बोरों की जरूरत बतायी है, लेकिन जूट बोरों की मांग व सप्लाई की समीक्षा के बाद यह साफ हो गया है कि जूट बोरों की सप्लाई में कमी आयेगी. इस कारण पैकेजिंग की सुनिश्चित करने के लिए 4.75 लाख बोरों का विलय का निर्णय किया गया है. इसके पहले नवंबर 2016 से जनवरी 2017 के दौरान 6.51 लाख गांठ के आदेश दिये गये थे, लेकिन इसमें 31 जनवरी, 2017 तक 2.51 लाख गांठ की सप्लाई अभी तक नहीं हो पायी है.
एंटी डंपिंग ड्यूटी वापस लेने की मांग बेबुनियाद : कजारिया
ऑल इंडिया जूट मिल्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजय कजारिया का कहना है कि जेपीआइए द्वारा एंटी डंपिंग ड्यूटी वापस लेने की मांग बेवुनियाद है. सभी पक्षों के सुनने के बाद ही केंद्र सरकार ने बांग्लादेश से आयात होने वाले जूट उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का फैसला किया था. यह फैसला किसानों व भारतीय जूट उद्योग के हित को ध्यान में रख कर लिया गया था. अनाज व चीनी में आयातित जूट बोरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है. मंगलवार को जूट आयुक्त व संयुक्त सचिव मधु कुमार रेड्डी के नेतृत्व में इज्मा व गैर इज्मा के सदस्यों की बैठक हुई. इस बैठक में पूरी स्थिति की समीक्षा हुई तथा सरकार ने साफ कर दिया है कि कोई जूट मिल मालिक बोरों की बिक्री बाजार में नहीं करेगा. जूट मिलों से बोरों की सप्लाई केवल सरकारी मांग की पूर्ति के लिए होगी.
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