नारदा स्टिंग मामले की प्राथमिक जांच का जिम्मा सीबीआइ को

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने कुछ तृणमूल नेताओं को तथाकथित तौर पर रिश्वत लेते दिखाये जाने वाले नारदा न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन के मामले की प्राथमिक जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा है. कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे और न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने सीबीआइ को आगामी 72 घंटे में प्राथमिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2017 2:22 PM

कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट ने कुछ तृणमूल नेताओं को तथाकथित तौर पर रिश्वत लेते दिखाये जाने वाले नारदा न्यूज के स्टिंग ऑपरेशन के मामले की प्राथमिक जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा है. कलकत्ता हाइकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश निशिथा म्हात्रे और न्यायाधीश तपोव्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने सीबीआइ को आगामी 72 घंटे में प्राथमिक जांच पूरी करने का निर्देश दिया है. सीबीआइ को प्राथमिक जांच पूरी करने का बाद जरूरत पड़ने पर एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू करने का निर्देश दिया है. हालांकि इससे पहले सीबीआइ को 24 के घंटे के भीतर ही अदालत में रखे मामले से जुड़े वीडियो फुटेज, सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी की रिपोर्ट और मामले के दस्तावेजों को हस्तांतरित कर देना होगा.

इसके 72 घंटे के बाद प्राथमिक जांच सीबीआइ को पूरी करनी होगी. इसके अलावा कोलकाता पुलिस को अपनी जांच बंद करनी होगी. साथ ही स्टिंग में दिखे आइपीएस अधिकारी अहमद मिर्जा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई व निलंबित करने की सिफारिश भी हाइकोर्ट ने की है. अदालत ने कहा कि यह बेहद आश्चर्य की बात है कि राज्य सरकार ने आरोपियों को अपने अधिकारों को उपयोग करते हुए समर्थन करते हुए देखा गया. प्राथमिक तौर पर घटना सत्य प्रतीत होती है. सैमुअल्स के खिलाफ आरोप में सच्चाई हो सकती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि स्टिंग के आरोपी छूट जाये. फुटेज से छेड़छाड़ नहीं की गयी है. भ्रष्टाचार समाज के लिए घृणित है.
जनप्रतिनिधियों व राजनेताओं का काम संदेह से परे होना चाहिए. इनके खिलाफ आरोप लगने पर समाज में उसका प्रभाव पड़ता है. खंडपीठ ने कहा कि पुलिस इस मामले में मंत्री व विधायकों की कठपुतली के तौर पर काम कर रही है. उल्लेखनीय है कि गत वर्ष विधानसभा चुनाव के पहले नारदा न्यूज ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं को तथाकथित तौर पर रिश्वत लेते हुए दिखाया था. फुटेज में आइपीएस, अहमद मिर्जा को भी तथाकथित तौर पर रिश्वत लेते हुए दिखाया गया था. अदालत ने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां हाइकोर्ट को अपने न्यायक्षेत्र का इस्तेमाल करना चाहिए.
गौरतलब है कि इस स्टिंग ऑपरेशन में तृणमूल के छह सांसदों व राज्य के तीन आला मंत्रियों व मेयर को तथाकथित तौर पर पैसे लेते दिखाया गया था. द सेंट्रल फॉरेंसिक लैबोरेटरी ने वीडियो फुटेज को भी जांच के बाद असली बताया था. हालांकि बाद में कोलकाता पुलिस ने नारदा न्यूज के सीइओ मैथ्यू सैमुअल्स पर आपराधिक मामले दर्ज किया और पूछताछ के लिए समन भी भेजा था. लेकिन अदालत ने निर्देश जारी किया था कि पुलिस मामले की सुनवाई तक कोई कदम नहीं उठा सकती. इस बीच ममता बनर्जी ने पूरे मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है और कहा है कि मामला न्यायलय के पास विचाराधीन है. उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं बीजेपी ऑफिस में इस स्टिंग का षडयंत्र रचा गया.

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