एक्सपायरी अग्निशामक सिलेंडर के भरोसे शेखपुरा का सदर अस्पताल

एनबीसी के रिपोर्ट में अग्निशमन विभाग के अधिकारियो ने किया खुलासा शेखपुरा : आपको अगर हैरानी नहीं हो तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में करोड़ों की लागत से चल रहे सदर अस्पताल में अगलगी की दुर्घटना पर काबू पाने के लिए फिलहाल कोई संसाधन ही नहीं है. जिले में प्रचंड गर्मी के दस्तक के साथ ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 3, 2017 8:36 PM

एनबीसी के रिपोर्ट में अग्निशमन विभाग के अधिकारियो ने किया खुलासा

शेखपुरा : आपको अगर हैरानी नहीं हो तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में करोड़ों की लागत से चल रहे सदर अस्पताल में अगलगी की दुर्घटना पर काबू पाने के लिए फिलहाल कोई संसाधन ही नहीं है. जिले में प्रचंड गर्मी के दस्तक के साथ ही आगलगी के घटनाओं की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसे में आपदा विभाग और जिला प्रशासन लगातार लोगों के बीच जागरुकता फैलाने का काम कर रही है. लेकिन जागरूकता फैलाने वाले प्रशासनिक महकमा के खुद के सदर अस्पताल में अग्निकांडों से नियंत्रण के लिए कोई ठोस संसाधन ही नहीं है.

एनबीसी के द्वारा चलाये जा रहे सर्वे कार्यक्रम में जो आंकड़े सामने आये हैं वह काफी हैरान करने वाले हैं. दरअसल सदर अस्पताल शेखपुरा में अग्निकांड की आपदाओं पर नियंत्रण के लिए अग्निशमन के बारह सिलेंडर विभिन्न वार्डों में लगाये गये हैं. लेकिन वहां सभी के सभी अग्निशमन सिलेंडर एक्सपायरी हैं. अब सवाल यह है कि अगर सदर अस्पताल जैसी बड़ी संस्था जिसे राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और राज्य स्तरीय योजनाओं का बड़ा केंद्र माना जाता है. वहां अग्निशमन संसाधन के लिए की जा रही अनदेखी से बड़े हादसों को न्योता तो नहीं दिया जा रहा.

दरअसल अग्निशमन विभाग के द्वारा एनबीसी के मापदंडो पर आधारित सर्वे का काम किया जा रहा है. इस सर्वे में जिले के सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक में अग्निशमन सुरक्षा की व्यवस्थाओं का सर्वे रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है. इसी सर्वे के आंकड़े में सदर अस्पताल के इस व्यवस्था का खुलासा किया गया.

35 के बजाय 12 अग्निशमन सिलेंडर से चल रहा काम

अग्निशमन विभाग के द्वारा किये जा रहे सर्वे में एनबीसी मापदंडों पर अगर नजर डालें तो सदर अस्पताल जैसी बड़ी संस्था में कम से कम 35 आग्निशामक सिलेंडर की जरूरत है. लेकिन सर्वे के दौरान यहां मात्र 12 सिलेंडर पाये गये. सबसे बड़ी बात क्या है कि सदर अस्पताल में लगाये गये अग्निशमन के सिलेंडर पिछले 3 माह पूर्व से ही एक्सपाइरी है. लेकिन आज तक उसे बदलने की दिशा में कार्यवाही नहीं की जा सकी. इसके साथ ही सदर अस्पताल जैसी बड़ी संस्था में अग्निशमन सुरक्षा को लेकर बीस हजार लीटर का वाटर टैंक भवन के ऊपरी तल्ले पर तो है लेकिन जमीन के अंदर एक लाख लीटर का स्टेटिक टैंक और पंप की व्यवस्था का अभाव है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का है बुरा हाल

जिले में अग्निशमन सुरक्षा को लेकर अगर नजर डालें तो स्वास्थ्य महकमे को इसकी थोड़ी भी परवाह नहीं प्रतीत होती है. शायद यही कारण है कि सदर अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अग्नि सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है. सदर अस्पताल के बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गिरिहिंडा का और भी बुरा हाल है. एनबीसी के सर्वे के अनुसार इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अग्निशमन सुरक्षा को लेकर संसाधन का नामोनिशान तक नहीं है. यहां निरीक्षण के दौरान एक भी अग्निशमन सरेंडर नहीं पाया गया.

यही हाल जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चेवाड़ा का है. हाल के दिनों में अब्बल स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर जिला स्तर पर सम्मान पाने वाले इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चेवाड़ा में एक भी अग्निशमन सुरक्षा सिलेंडर नहीं लगाया गया है. ऐसे में अगर यहां आग लगी कि घटना का कोई अनहोनी हो जाए तो सुरक्षा की कार्रवाई भगवान भरोसे ही रह जाएगी. हालांकि जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अरियरी में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था कुछ हद तक ठीक ठाक बताया गया है.यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन में चार अग्निशमन सिलेंडर लगाये गये हैं.

क्यों की जा रही है अनदेखी

जिले में अग्निशमन सुरक्षा को लेकर यूं तो विभाग और जिला प्रशासन प्रचार प्रसार के लिए जन जागरूकता पर जोर देते हैं लेकिन उनके ही स्वास्थ्य महकमा इस पूरी व्यवस्था से महरूम है. एनबीसी के मापदंडों का सर्वे कर रहे अग्निशमन अधिकारी बच्चा प्रसाद सिंह ने कहा की अग्निशमन सुरक्षा को लेकर आये दिन हो रहे जन जागरूकता को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण देना चाहते हैं तब उन्हें कोई तवज्जो नहीं दिया जाता है.

इस अनदेखी के कारण विभाग से जुड़े लोगों को भी अग्निशमन सुरक्षा की अहम जानकारी नहीं मिल पा रही है. स्वास्थ्य महकमे में इस बड़ी अनदेखी को लेकर सवाल यह है कि आखिर इस तरह की अनदेखी से अगलगी की बड़ी घटनाओं में अनहोनी को कैसे टाला जा सकता है.

क्या है मुख्य बातें

अग्निशमन सुरक्षा को लेकर एनबीसी के द्वारा जो मापदंड तैयार किये गये हैं उसमें अहम बात यह है कि अस्पताल भवन के चारों ओर अग्निशमन बाहर घूमने का स्थान होना चाहिए. भवन के भीतरी भाग में दो और बाहर की ओर एक सीढ़ी होनी चाहिए. अस्पताल प्रबंधन तक अग्निशामक वाहनों के लिए पहुंच पथ भी होनी चाहिए.अस्पताल कैंपस के अंदर होजरैम्प,स्टोर कीपर में अग्निशामक यंत्र प्रत्येक 200 स्क्वायर मीटर पर एक अग्निशामक यंत्र होना अनिवार्य है.

क्या कहते हैं अधिकारी

जिले में अस्पतालों के अंदर अग्निशमन सुरक्षा के मापदंड का सर्वे एनबीसी के तहत किया जा रहा है. इसके लिए निर्धारित बिंदुओं के आधार पर विभाग को जानकारी उपलब्ध करायी जा रही है. इस सर्वे अभियान में सदर अस्पताल के अंदर सभी अग्निशमन सिलेंडर एक्सपायरी पाये गये. जबकि पीएससी गिरिहिंडा में एक भी अग्निशमन सिलेंडर नहीं पाया गया. इन स्थितियों को लेकर सभी विभागों को निर्धारित मापदंडो को पूरा करने की दिशा में अपील की गयी है.

बच्चा प्रसाद

अग्निशमन अधिकारी शेखपुरा

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