राज्यों को कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी लेनी होगी : शबाना

कोलकाता: अदाकारा शबाना आजमी ने कहा है कि लोकतंत्र में असहमति होना तो ठीक है, लेकिन लोगों को हिंसक नहीं होना चाहिए और स्थिति को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए. फिल्म निर्माता अपर्णा सेन के साथ यहां एक सत्र को संबोधित करते हुए 66 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2017 10:35 AM
कोलकाता: अदाकारा शबाना आजमी ने कहा है कि लोकतंत्र में असहमति होना तो ठीक है, लेकिन लोगों को हिंसक नहीं होना चाहिए और स्थिति को अपने हाथों में नहीं लेना चाहिए. फिल्म निर्माता अपर्णा सेन के साथ यहां एक सत्र को संबोधित करते हुए 66 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा कि अगर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है, तो राज्य सरकारों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाना चाहिए. आजमी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से लोकतंत्र में स्वाभाविक तौर पर असहमति होगी.

कला के क्षेत्र में असहमति होना मौलिक अधिकार है, लेकिन अगर एक किताब, कला को लेकर असहमति है और अगर आप इसे पसंद नहीं करते, तो आपके पास थिएटर के बाहर अपने विचार रखने का अधिकार है. लेकिन आप कानून व्यवस्था के लिए संकट पैदा नहीं कर सकते. फिल्म ‘पद्मावती’ के सेट पर निर्देशक संजय लीला भंसाली पर हमले की ओर इशारा करते हुए अदाकारा ने कहा कि ऐसे विरोध प्रदर्शन कई बार क्षणिक प्रसिद्धि पाने के लिए किये जाते हैं. उन्होंने कहा कि कितनी फिल्म सच में लोगों को आहत करती है.

क्योंकि 10 लोग खड़े हो जाते हैं और कहते है कि यह फिल्म उन्हें आहत करती है और वे टीवी पर आ जाते हैं. उन्हें क्षणिक प्रसिद्धि मिल जाती है. आजमी ने कहा कि अगर राज्य सरकार में इच्छाशक्ति हो, तो वह किसी फिल्म की रिलीज के बाद होनेवाले किसी भी हिंसक प्रदर्शन को नियंत्रित कर सकती है.

अभिनेत्री ने कहा कि अगर सेंसर बोर्ड से पास होने के बाद किसी फिल्म को संवैधानिक संस्थाओं से इतर विरोध का सामना करता पड़ता है और अगर राज्य सरकार इस पर नियंत्रण करना चाहती है, तो वह कर सकती है. याद करिये कि बाबरी मसजिद विध्वंस और दंगों के बाद मुंबई विस्फोट की घटना हुई, लेकिन उन विस्फोटों के बाद कोई घटना नहीं हुई. ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि सरकार ने निर्णय लिया कि किसी भी हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. आजमी के विचारों को दोहराते देते हुए अपर्णा ने कहा कि राज्य को कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समस्या को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी.

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