धन के अभाव में धरोहर पर खतरा

समस्या. हेरिटेज भवनों के रखरखाव व पुनर्निर्माण के लिए नहीं मिल रहा पर्याप्त फंड कोलकाता में 800 भवन हेरिटेज घोषित हेरिटेज कमीशन ने राज्य में 174 भवनों को घोषित किया है हेरिटेज कोलकाता : राज्य के विरासत भवनों (हेरिटेज बिल्डिंग) की मरम्मत उपयुक्त सामग्री के अभाव में नहीं हो पा रही है. ऐसे भवनों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 19, 2017 7:43 AM
समस्या. हेरिटेज भवनों के रखरखाव व पुनर्निर्माण के लिए नहीं मिल रहा पर्याप्त फंड
कोलकाता में 800 भवन हेरिटेज घोषित
हेरिटेज कमीशन ने राज्य में 174 भवनों को घोषित किया है हेरिटेज
कोलकाता : राज्य के विरासत भवनों (हेरिटेज बिल्डिंग) की मरम्मत उपयुक्त सामग्री के अभाव में नहीं हो पा रही है. ऐसे भवनों की मरम्मत के लिए बने कानून में हेरिटेज कमीशन बदलाव चाहता है. ताकि इनका रखरखाव और मरम्मत हो सके. मंगलवार को विश्व हेरिटेज डे के अवसर पर पश्चिम बंगाल हेरिटेज कमीशन के तत्वावधान में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इसमें वक्ताओं ने हेरिटेज भवनों के रखरखाव और मरम्मत पर अपना विचार रखा. हेरिटेज कमीशन के सचिव उमापद चटर्जी ने बताया कि राज्य में करीब 174 इमारतों को कमीशन ने हेरिटेज घोषित किया है.
इनमें पुराने मंदिर, चर्च, पुराने जमींदार एवं साहित्यकारों की इमारत शामिल हैं. कोलकाता नगर निगम ने महानगर में 800 इमारतों को हेरिटेज के रूप में चिह्नित किया है. श्री चटर्जी ने कहा कि इन इमारतों के दोबारा निर्माण पर उस समय की सामग्री की जरूर पड़ती है. लेकिन ऐसी सामग्री जुटाने में दिक्कत होती है. कुछ सामग्री मिलती भी है तो उसकी कीमत अधिक होती है. ऐसी स्थिति में काफी फंड की जरूरत होती है. पर्याप्त फंड उपलब्ध नहीं होने के कारण हेटिजेट इमारतों की मरम्मत में समस्या हो रही है.
रखरखाव में आ रही समस्या : श्री चटर्जी ने कहा कि कमीशन केवल हेरिटेज इमारतों को चिह्नित करता है. इनके रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकार या किसी प्राइवेट बॉडी (संस्था) पर होती है. इमारतों के पुनर्निर्माण के बाद रखरखाव में दिक्कत आती है. इसलिए पॉलिसी में बदलाव की जरूरत है. चित्रकार शुभाप्रसन्ना ने कहा कि पश्चिम बंगाल में पहाड़, समुद्र, नदियों के अलाव कई हेरिटेज भवन हैं. इससे राज्य टूरिज्म को एक अलग पहचान मिलती है. राज्य पर्यटन विभाग ऐसी इमारतों के रखरखाव के लिए काफी सक्रिय है.
पुनर्निर्माण का जिम्मा लोक निर्माण विभाग के पास
श्री चटर्जी ने कहा कि हेरिटेज भवन घोषित किये जाने के बाद उसके पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी राज्य सरकार के लोक निर्माण विभाग पर होती है. इन इमारतों के पुनरुद्धार के लिए उस वक्त की सामग्री की जरूरत पड़ती है. इन मेटेरियल के लिए पीडब्ल्यूडी अनुसूचित दर तय करता है. दर आवंटन के बिना इमारतों का पुनर्निर्माण नहीं हो सकता है. वर्तमान में फंड के अभाव में दर आवंटित करने में परेशानी हो रही. इसलिए कमीशन ने हेरिटेज इमारतों के पुनर्निर्माण के लिए वर्तमान कानून में बदलाव के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव दिया है.
जांच-परख के बाद भवन को मिलता है हेरिटेज का दर्जा
स्थानीय प्रशासन अथवा किसी साहित्यकार एवं सूत्रों से जानकारी मिलने के बाद हेरिटेज कमीशन ऐसी इमारतों का पहले सर्वेक्षण कराता है. फिर उसकी प्रमाणिकता की जांच करने के बाद विरासत भवन का दर्जा मिलता है.

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