सारधा घोटाले के साये में हावड़ा का उपचुनाव
कोलकाता: सारधा चिटफंड घोटाले के साये में हावड़ा लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव होगा. यह उपचुनाव ममता बनर्जी सरकार की लोकप्रियता की अग्निपरीक्षा साबित होगा, वहीं कांग्रेस तथा माकपा वर्ष 2014 के आम चुनावों से पूर्व पश्चिम बंगाल में अपना आधार मजबूत करने का प्रयास करेंगी.प्रभात खबर डिजिटल प्रीमियम स्टोरीJayant Chaudhary: क्या है ऑरवेलियन-1984, जिसका मंत्री […]
कोलकाता: सारधा चिटफंड घोटाले के साये में हावड़ा लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव होगा. यह उपचुनाव ममता बनर्जी सरकार की लोकप्रियता की अग्निपरीक्षा साबित होगा, वहीं कांग्रेस तथा माकपा वर्ष 2014 के आम चुनावों से पूर्व पश्चिम बंगाल में अपना आधार मजबूत करने का प्रयास करेंगी.
तृणमूल कांग्रेस ने दो जून को होनेवाले इस उपचुनाव में भारत के पूर्व फुटबॉल कप्तान प्रसून बनर्जी को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने वकील सनातन मुखर्जी और माकपा ने हावड़ा के पूर्व जिला सचिव दीप भट्टाचार्य को टिकट दिया है. पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के निर्देश पर भाजपा उपचुनाव में भाग नहीं ले रही है. उपचुनाव में जीत दर्ज करनेवाले का इस साल जुलाई में तीन चरणों में होने जा रहे पंचायत चुनाव में भी दबदबा रहने की संभावना है.
वर्ष 1999 में जब तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, तब तृणमूल ने इस सीट पर 6535 मतों या 0.64 प्रतिशत मतों से जीत दर्ज की थी. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने इस सीट पर 37723 मत हासिल किये, जो कुल डाले गये मतों का 3.8 प्रतिशत थे. भाजपा को वर्ष 2011 में इस लोकसभा सीट के सात विधानसभा क्षेत्रों में 4.5 प्रतिशत मत मिले.
विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा के चुनाव मैदान से हटने का फायदा ममता बनर्जी की पार्टी को हो सकता है. अटकलें हैं कि भाजपा इस तरह वर्ष 2014 में तृणमूल के लिए दरवाजे खुले रखना चाहती है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा कह चुके हैं कि राजनाथ सिंह ने केंद्रीय नेतृत्व के फैसले की सूचना देने के लिए उनसे बात की है.
ममता बनर्जी ने हालांकि भाजपा की ओर बढ़ने का कोई संकेत नहीं दिया है और उन्होंने अपनी हालिया जनसभाओं में कांग्रेस तथा माकपा के साथ भाजपा पर भी निशाना साधा है. तृणमूल कांग्रेस के पिछले साल सितंबर में संप्रग से अलग होने के बाद कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी मजबूती दिखाने का मौका हो सकता है.
पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा है कि हमें आशा है कि हम इस सीट पर कब्जा करेंगे. उन्होंने कहा कि सनातन मुखर्जी साफ छविवाले बहुत अच्छे उम्मीदवार हैं.
वहीं, माकपा का मुख्य उद्देश्य हार के अंतर को कम करना और कांग्रेस तथा तृणमूल के मतों में फूट पड़ने का फायदा उठाना है. इस साल फरवरी में तीन विधानसभा क्षेत्रों में वाम मोरचा के मतों के प्रतिशत में गिरावट दर्ज हुई है.
वाम मोरचा के लिए इस गिरावट को रोकना चुनौती होगी. सारधा समूह घोटाला उम्मीदवारों के बीच बड़ा चुनावी मुद्दा बना हुआ है और सभी दल इस घोटाले को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. तृणमूल ने वाम मोरचा शासनकाल में चिटफंड कंपनियों को खूब फलने-फूलने देने का आरोप लगाया, जबकि वाम मोरचा इन योजनाओं में निवेश करनेवाले लोगों को बर्बाद करने के लिए तृणमूल सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहा है.
ममता बनर्जी इस महीने के आखिर में दो बड़े रोड शो और एक जनसभा को संबोधित कर इस सीट के मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास करेंगी. तृणमूल कांग्रेस पिछले तीन दशक में वाम मोरचा के कथित आतंक के शासन, भ्रष्टाचार और घोटालों पर ध्यान केंद्रित कर रही है.तृणमूल कांग्रेस नेता अंबिका बनर्जी की मौत के बाद खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है. उन्होंने वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में माकपा के स्वदेश चक्रवर्ती को 37392 मतों से हराया था. तृणमूल ने यह चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था.