सुरक्षित भारत के लिए सुरक्षित बचपन जरूरी : कैलाश सत्यार्थी

युवा ऊर्जा का उपयाेग सामाजिक बदलाव के लिए करें कोलकाता. भारत में प्रति आठ मिनट में एक बच्चे की तस्करी होती है. बच्चों व महिलाओं की तस्करी दुनिया का सबसे फायेदमंद उद्योग बन चुका है. इस सामाजिक अभिशाप के खिलाफ हमें आगे आने की आवश्यकता है. केवल सरकार के भरोसे इस समस्या का समाधान संभव […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2017 7:58 AM
युवा ऊर्जा का उपयाेग सामाजिक बदलाव के लिए करें
कोलकाता. भारत में प्रति आठ मिनट में एक बच्चे की तस्करी होती है. बच्चों व महिलाओं की तस्करी दुनिया का सबसे फायेदमंद उद्योग बन चुका है. इस सामाजिक अभिशाप के खिलाफ हमें आगे आने की आवश्यकता है. केवल सरकार के भरोसे इस समस्या का समाधान संभव नहीं है. इसके लिए कॉरपोरेट, सिविल सोसाइटी व सरकार को मिलकर काम करना होगा.
ये बातें बाल अधिकारों की मुहिम के लिए पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान रखनेवाले नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने पीसी चंद्रा की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में कहीं. उन्होंने कहा कि जब तक बचपन सुरक्षित नहीं होगा, तब तक भारत सुरक्षित नहीं हो सकता. 10 वर्षों में एक करोड़ से अधिक बच्चे युद्ध के शिकार हो चुके हैं. बच्चों ने कभी युद्ध नहीं किया और न ही वे इसके लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन इसका खामियाजा उनको ही भुगतना पड़ता है. सीरिया, अफगानिस्तान, इराक व अफ्रीकी देश इसके ज्वलंत उदाहरण हैं.
उन्होंने पिछले वर्ष 11 दिसंबर को बच्चों व महिलाआें की सुरक्षा के लिए 100 मिलियन फॉर 100 मिलियन अभियान की शुरुआत राष्ट्रपति भवन से की थी, जिसमें 14 नोबल पुरस्कार विजताओं व विश्व के 12 बड़े नेताओं ने भाग लिया था. हाल ही में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में भी इसका विश्व सम्मेलन हुआ था. उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए फक्र की बात है कि यहां 41 फीसदी जनसंख्या युवाअों की है.
युवाओं की ऊर्जा के समाज के बदलाव में उपयोग की जरूरत है, तभी भारत अपने गौरवमय अतीत को पुन: पा सकता है. इस अवसर पर मुख्य अतिथि रामकृष्ण मिशन गोलपार्क के सचिव स्वामी सुपर्णानंद महाराज ने भी श्री सत्यार्थी को बच्चों का भविष्य सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी का अहसास कराने के लिए धन्यवाद दिया. इस अवसर पर पीसी चंद्रा समूह के प्रबंध निदेशक एके चंद्रा व पीसी चंद्रा ज्वैलर्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक प्रशांत चंद्रा ने श्री सत्यार्थी को पुरुस्कार स्वरूप 10 लाख रुपये की राशि भेंट की.
कोलकाता. वेस्ट बंगाल फेडरेशन ऑफ यूनाइटेड नेशंस एसोिसएशंस की ओर से नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी व उनकी धर्मपत्नी सुमेधा सत्यार्थी का अभिनंदन किया गया. श्री सत्यार्थी कई कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए कोलकाता आये हुए हैं. सम्मान समारोह में समाजसेवी व उद्योगपति सीताराम शर्मा, मेजर जनरल अरुण राय, लेफ्टिनेंट जनरल जेआर मुखर्जी व डाॅ जेके सराफ विशिष्ट अतिथि के रुप में शामिल थे. इस अवसर पर शामिल अन्य गणमान्य लोगों में राज्यसभा सांसद सुखेंदू शेखर राय, सीआइडी के अतिरिक्त महानिदेशक डाॅ राजेश कुमार, पूर्व कुलपति प्रो राधारमण चक्रवर्ती, डाॅ बीडी मूंधड़ा, प्रह्लाद राय अग्रवाल, एसएसआइ होटल के प्रबंध निदेशक दिलीप जायसवाल, संतोष सराफ, संतोष रुंगटा, राजीव माहेश्वरी, एसके बांगुर, राम अवतार पोद्दार आदि शामिल थे.
वेस्ट बंगाल फेडरेशन आॅफ यूनाइटेड नेशंस एसोिसएशंस के चेयरमैन सीताराम शर्मा ने कहा: बाल अधिकारों के लिए नोबल पुरस्कार पाने वाले श्री सत्यार्थी पहले भारतीय हैं. उनके योगदान की वजह से ही बच्चों की शिक्षा का अधिकार संविधान में शामिल हो सका है. श्री सत्यार्थी ने पूरी दुनिया के बच्चों को भूख व अशिक्षा से मुक्ति दिलाने के लिए उद्योग जगत से आगे आने की अपील की. पूरी दुनिया में शांति के लिए बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को भी उन्होंने जरूरी बताया.
नोबेल मेरा ही नहीं देश का भी : कैलाश
कोलकाता : नोबेल पुरस्कार सिर्फ मेरा ही नहीं, पूरे देश को मिला सम्मान है. इसीलिए मैंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया. अब वह राष्ट्रपति भवन के म्यूजियम की शोभा बढ़ा रही है. यह बात नोबेल शांति पुरस्कार विजेता व बाल अधिकारों के लिए काम करनेवाले कैलाश सत्यार्थी ने रविवार को दी. श्री सत्यार्थी ने बताया कि उन्होंने पुरस्कार लौटाने के लिए जब राष्ट्रपति को पत्र लिखा तो राष्ट्रपति ने कहा था कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब किसी को इतना बड़ा पुरस्कार मिला हो और वह इसे देश को समर्पित कर रहा है. वह वेस्ट बंगाल फेडरेशन ऑफ युनाइटेड नेशंन एसोसिएशन की एक परिचर्चा में बोल रहे थे. सत्यार्थी ने कहा कि नोबेल पुरस्कार के दौरान मिलने वाली धन राशि को भी उन्होंने नहीं लिया. इस राशि को उन्होंने नोबेल कमेटी के पास में ही छोड़ दिया था. यह भी पहली बार हुआ. जब किसी ने नोबेल पुरस्कार के दौरान दिये जाने वाले फंड को नहीं लिया हो.
बाद में धीरे-धीरे इस फंड का उपयोग दुनिया भर के जरूरतमंद बच्चों‍ के विकास के लिए किया गया. श्री सत्यार्थी ने कहा कि भले ही हम बच्चों के अधिकार और विकास के कितने ही दावे करें, लेकिन सच्चाई कुछ और ही है. बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए दुनियाभर में राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव है. सत्यार्थी ने कहा कि बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और उन्हें सरंक्षण प्रदान करने के लिए पर्याप्त आर्थिक मदद नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से बच्चों को प्राथमिकता देने के लिए जब बच्चों की शिक्षा में बेहतरी, कानूनों के बेहतर क्रियान्वयन और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए धनराशि के पर्याप्त आवंटन की बात आती है, तो हमें वैश्विक स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव नजर आता है. इस कार्यक्रम एसोसिएशन के चेयरमैन सीताराम शर्मा सीआईडी के एडीजी डॉ राकेश कुमार समेत अन्य लोग उपस्थित थे.
दुनिया में 16.8 करोड़ बाल श्रमिक
श्री सत्यार्थी ने कहा वैश्विक स्तर पर 16.8 करोड़ बच्चे बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, जबकि 21 करोड़ वयस्क बेरोजगार हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए सत्यार्थी ने कहा कि भारत में हर घंटे 11 बच्चे लापता हो जाते हैं और उनमें से आधे कभी नहीं मिलते. उन्होंने कहा कि बाल श्रमिल बड़े आसानी से मिल जाता है. क्योंकि बच्चों को आसानी से कम मजदूरी देकर अधिक काम ले सकते है.

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