गौरतलब है कि पिछले दिनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बंगाल दौरे पर आये थे और उन्होंने दावा करते हुए कहा है कि वर्ष 2019 में होनेवाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को बंगाल में सबसे अधिक सीटें मिलेंगी और इसके बाद 2021 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ही सत्ता में आयेगी. लेकिन भाजपा के लिए लोकसभा व विधानसभा चुनाव के पहले सबसे बड़ी चुनौती मई 2018 में होनेवाला पंचायत चुनाव है, जो भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा के समान है. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद कांथी दक्षिण विधानसभा व कूचबिहार लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुआ. हालांकि दोनों सीटों पर तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार विजयी हुए. लेकिन देखने की बात यह है कि इन दाेनों सीटों पर भाजपा दूसरे स्थान पर रही है. राज्य की प्रमुख विरोधी पार्टियां माकपा व कांग्रेस का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है.
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पंचायत चुनाव में होगी भाजपा की अग्निपरीक्षा
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कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का दावा है कि राज्य में अगली सरकार उनकी ही होगी, लेकिन भाजपा नेता चाहे कुछ भी दावा कर लें, लेकिन आगामी चुनाव में भाजपा के लिए राहें अासान नहीं है. 2018 में यहां होेनेवाला पंचायत चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम है. एक तरह से कहा […]

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कोलकाता : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का दावा है कि राज्य में अगली सरकार उनकी ही होगी, लेकिन भाजपा नेता चाहे कुछ भी दावा कर लें, लेकिन आगामी चुनाव में भाजपा के लिए राहें अासान नहीं है. 2018 में यहां होेनेवाला पंचायत चुनाव भाजपा के लिए काफी अहम है. एक तरह से कहा जाये तो यह पंचायत चुनाव भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा होगी. पंचायत चुनाव से ही भाजपा की सही ताकत का पता चल पायेगा, क्योंकि बंगाल में सत्ता पाने लिए ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाना बहुत जरूरी है.
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक स्तर पर लोगों में काफी दरारें पड़ी है. पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति का बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों में नकारात्मक प्रभाव पड़ा है और इसी बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने ग्रामीण बंगाल में अपने संगठन को काफी मजबूत किया है. पिछले पांच वर्षों में आरएसएस की ताकत काफी बढ़ी है और भाजपा इसका ही प्रयोग करते हुए आगामी पंचायत चुनाव में अपनी ताकत दिखाना चाहती है. भाजपा के आदर्शों व केंद्र सरकार द्वारा किये गये विकासशील योजनाओं को बंगाल के घर-घर पहुंचाने के लिए पार्टी नेताओं ने कमर कस ली है और वह जून महीने से लोगों के घर-घर जाकर पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार भी करेंगे. साथ ही भाजपा ने पंचायत चुनाव के लिए केवल उन उम्मीदवारों का चयन करने का फैसला किया है, जो तृणमूल के खिलाफ कठोर प्रतिरोध कर सकते हैं.
आसनसोल, खड़गपुर, हावड़ा व कोलकाता के कुछ क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति मजबूत
भाजपा ने राज्य के कुछ शहरी हिस्सों में अपनी नींव तैयार कर ली है और कई शहरी क्षेत्रों में वह सत्तारूढ़ पार्टी को टक्कर देने के लिए तैयार है, जैसे कि आसनसोल, खड़गपुर, हावड़ा व कोलकाता के कुछ क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति मजबूत है. लेकिन यह सभी पार्टियां अच्छी तरह जानती हैं कि बंगाल में सत्ता की कुंजी ग्रामीण इलाकों में निहित है, राज्य के कुल मतदाताओं में 70% से अधिक मतदाता ग्रामीण बंगाल में ही रहते हैं. दूसरी ओर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस बात की अनदेखी नहीं कर सकती कि 2008 के पंचायत चुनाव के परिणाम तीन साल बाद उन्होंने बंगाल में सत्ता पायी थी और इस लिहाज से पंचायत चुनाव एक प्रकार से पार्टी की स्थिति बताती है और आगामी सत्ता पाने की भविष्यवाणी करती है. तृणमूल कांग्रेस ने 2013 में पंचायत चुनाव में ग्रामीण बंगाल में अपना आधार मजबूत करने के लिए आगे बढ़ी और 2016 तक हर जिला परिषदों पर हड़पने के माध्यम से कब्जा कर लिया. हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को डर है कि वह हथियार के दम पर पहले वाममोरचा व कांग्रेस नेताओं को डरा करने अपनी पार्टी में शामिल रहे थे, लेकिन उनका यह बल प्रयोग भाजपा के सामने नहीं टिकेगा. भाजपा ने भी अपनी सांगठनिक शक्ति मजबूत कर ली है और 2018 के पहले भाजपा भी अपने बाहुबल का प्रदर्शन कर सकती है.
विस चुनाव परिणाम (2016)
कुल सीट 294
तृणमूल 211
कांग्रेस 44
वाममोरचा 28
भाजपा 06
अन्य 05
पंचायत चुनाव परिणाम (2013)
कुल सीट 3215
तृणमूल 1811
कांग्रेस 757
वाममोरचा 246
भाजपा 00
अन्य 401
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