भाजपा और तृणमूल की नीति समान : सूर्यकांत

कोलकाता. केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश की स्थिति विषम है. लोगों की मूलभूत समस्याओं से ध्यान हटाने की कोशिश जारी है, वहीं झूठे बयानबाजी व दावों का सिलसिला जारी है. यह आरोप माकपा के राज्य सचिव डाॅ सूर्यकांत मिश्रा ने लगाया है. महानगर में माकपा कोलकाता जिला कमेटी द्वारा आयोजित एक सभा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2017 7:51 AM
कोलकाता. केवल पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश की स्थिति विषम है. लोगों की मूलभूत समस्याओं से ध्यान हटाने की कोशिश जारी है, वहीं झूठे बयानबाजी व दावों का सिलसिला जारी है. यह आरोप माकपा के राज्य सचिव डाॅ सूर्यकांत मिश्रा ने लगाया है. महानगर में माकपा कोलकाता जिला कमेटी द्वारा आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा है कि आम लोगों, किसानों, श्रमिकों की समस्याओं के निबटारे के मसले पर केंद्र व राज्य सरकार को जवाब देना चाहिए. राज्य में खाद्य सुरक्षा को लेकर संकट बना हुआ है.

आरोप के अनुसार डिजिटल राशन कार्ड के नाम पर अव्यवस्था देखी गयी है. यदि औद्योगिक विकास की बातें करें तो तृणमूल सरकार को वामपंथी चैलेंज देते हैं कि जो विकासमूलक काम पूर्ववर्ती वाममोरचा सरकार ने 34 वर्षों के शासनकाल में किया था वह मौजूदा सरकार 34 सौ वर्षों में भी शायद कर पाये. आरोप के अनुसार औद्योगिक विकास की बात छोड़ दीजिए, राज्य में कई कारखाने सत्ता परिवर्तन के बाद बंद हो गये. ऐसी स्थिति ही कृषि क्षेत्र की है. किसानों को ऊपज की सटीक कीमत तक नहीं मिल पा रही है. महंगाई लगातार बढ़ रही है लेकिन उस परिमाण में लोगों का आय नहीं बढ़ रहा है. श्रमिक बेरोजगार हो रहे हैं.

युवा वर्ग भी बेरोजगारी की मार झेल रहा है तो दूसरी ओर राज्य की शैक्षणिक व्यवस्था की अवनति हो रही है. मिश्रा ने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार और तृणमूल कांग्रेस नीत राज्य सरकार की नीतियों में कोई फर्क नहीं है. सत्ता में आने से पहले कथित तौर पर भाजपा की ओर से कहा गया था कि प्रत्येक वर्ष दो करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा. आरोप के अनुसार दो करोड़ रोजगार तो नहीं मिला लेकिन दो लाख लोग बेरोजगार जरूर हो गये होंगे.

पूरे देश में सांप्रदायिक शक्तियां पैर पसारने की कोशिश में हैं. ऐसी स्थिति राज्य में भी है. धर्म के नाम पर राजनीति की जा रही है. वामपंथी ही एकमात्र विकल्प हैं जो आम लोगों के हित की बात उठाते हैं, उनके लिए लगातार आंदोलनरत हैं. मिश्रा ने सांप्रदायकिता, पूंजीवाद को बड़ा खतरा बताते हुए धर्मनिरपेक्ष, वामपंथी और लोकतंत्र समर्थक शक्तियों को एकजुट होने व 22 मई को प्रस्तावित नवान्न अभियान को सफल बनाने का आह्वान किया है.

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