रघुनाथपुर ताप विद्युत केंद्र के लिए अब तक नहीं मिली अनुमति : लैंग्सटीह

कोलकाता. दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने पुरुलिया जिले के रघुनाथपुर में दो चरणों में ताप विद्युत केंद्र की स्थापना करने की योजना बनायी है. कंपनी द्वारा पहले चरण का काम पूरा किया जा चुका है और वहां 1050 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन दूसरे चरण का काम अब तक शुरू नहीं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2017 8:37 AM
कोलकाता. दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) ने पुरुलिया जिले के रघुनाथपुर में दो चरणों में ताप विद्युत केंद्र की स्थापना करने की योजना बनायी है. कंपनी द्वारा पहले चरण का काम पूरा किया जा चुका है और वहां 1050 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन दूसरे चरण का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है, क्योंकि पश्चिम बंगाल सरकार से अब तक इस योजना के लिए मंजूरी नहीं मिली है.

यह जानकारी गुरुवार को डीवीसी के चेयरमैन एंड्रू डब्ल्यूके लैंग्सटीह ने एमसीसी चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित सेमिनार के दौरान दी. उन्होंने बताया कि रघुनाथपुर में दूसरे चरण के तहत डीवीसी ने नेयवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ मिल कर प्लांट की स्थापना करना चाहती है.

इस योजना को केंद्र सरकार व झारखंड सरकार ने अनुमति दे दी है, पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक इसकी अनुमति नहीं दी है. उन्होंने उम्मीद जाहिर करते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल द्वारा बहुत जल्द अनुमति मिल जायेगी. उन्होंने बताया कि वर्ष 2016-17 के वित्तीय वर्ष में कंपनी को 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, इसमें से 800 करोड़ रुपये का नुकसान सिर्फ रघुनाथपुर ताप विद्युत केंद्र की वजह से हुआ और बाकी 200 करोड़ का नुकसान वेतन आयोग प्रावधान के कारण हुआ था.

2019 तक कोयला खनन शुरू करेगी डीवीसी : श्री लैंग्सटीह ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से डीवीसी को दो कोल ब्लॉक आवंटित किये गये हैं, जहां वर्ष 2019 तक कोयला उत्पादन शुरू होगा. डीवीसी द्वारा लगभग नाै मिलियन टन काेयला का उत्पादन किया जायेगा, हालांकि कंपनी की मांग लगभग 22 मिलियन टन है. उन्होंने बताया कि कंपनी अगर स्वयं कोयला उत्पादन शुरू करती है तो बिजली कीमतों में 25-40 पैसे प्रति यूनिट की बचत की जा सकती है.
बांध से पानी छोड़ने का अधिकार डीवीसी के पास नहीं : डीवीसी के चेयरमैन डब्ल्यूके लैंग्सटीह ने राज्य सरकार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बंगाल की नदियों में पानी छोड़ने का अधिकार हमारे पास नहीं है. किस बांध से कितना पानी छोड़ा जायेगा, यह निर्णय दामोदर वैली रीवर रिजर्वर कमेटी द्वारा लिया जाता है. इस कमेटी के प्रमुख केंद्रीय जल आयोग के चेयरमैन हैं. एक तरह से कहा जाये तो डीवीसी सिर्फ सभी बांधों के लिए चौकीदार का काम करती है. इस कमेटी में झारखंड व बंगाल सरकार के भी प्रतिनिधि हैं और पानी छोड़ने से पहले सबको सूचित किया जाता है.
झारखंड सरकार पर डीवीसी का 1600 करोड़ रुपये बकाया : डीवीसी के चेयरमैन कहा कि झारखंड सरकार पर डीवीसी का लगभग 1600 करोड़ रुपये बकाया है. इससे पहले भी झारखंड सरकार पर डीवीसी का लगभग 4770 करोड़ रुपये बकाया था, जिसका भुगतान केंद्र सरकार ने उदय योजना के तहत डीवीसी को कर दिया है. अब नये सिरे से झारखंड सरकार पर डीवीसी का बकाया बढ़ कर 1600 करोड़ रुपये हो गया है. उन्हाेंने बताया कि बकाया राशि चुकाने के लिए झारखंड सरकार लोन उठायेगी और अगले छह महीने में किश्त के माध्यम से रुपये का भुगतान कर देगी. इस मौके पर एमसीसीआइ के उपाध्यक्ष विशाल झाझरिया ने डीवीसी चेयरमैन का अभिनंदन करते हुए स्वागत भाषण रखा.

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