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निजी अस्पतालों को एसिड पीड़ितों का इलाज निःशुल्क करना होगा : डॉ शशि पांजा

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कोलकाता. पश्चिम बंगाल महिला आयोग व स्टेट लीगल सर्विसेस अॉथोरिटी (सालसा) द्वारा शनिवार को जलसम्पद भवन में एक कार्यशाला ‘एसिड हमले से बचाव व पीड़ितों को मुआवजा’ विषय पर आयोजित की गयी. इस माैके पर राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री डॉ शशि पांजा ने कहा कि महिलाओं पर बढ़ रहे एसिड हमले शर्मनाक […]

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कोलकाता. पश्चिम बंगाल महिला आयोग व स्टेट लीगल सर्विसेस अॉथोरिटी (सालसा) द्वारा शनिवार को जलसम्पद भवन में एक कार्यशाला ‘एसिड हमले से बचाव व पीड़ितों को मुआवजा’ विषय पर आयोजित की गयी. इस माैके पर राज्य की महिला व बाल विकास मंत्री डॉ शशि पांजा ने कहा कि महिलाओं पर बढ़ रहे एसिड हमले शर्मनाक हैं. इससे पीड़ित महिला का जीवन दुश्वार हो जाता है. एसिड जो बेच रहा है या जो खरीद रहा है, उस पर भी नजर रखी जानी चाहिए.

एसिड फेंकनेवाले की दुर्बलता व बीमार मानसिकता ही है कि वह इस तरह की हरकत करता है. इसका खामियाजा महिलाओं को जीवन भर भुगतना पड़ता है. फिर भी इस स्थिति में महिलाएं आज सरवाइव कर रही हैं, यह एक बहुत बड़ी बात है. राज्य सरकार की ओर से एसिड पीड़ित महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए हाथ का काम सिखाने की व्यवस्था की गयी है. पीड़ित महिलाओं के इलाज व मुआवजे की व्यवस्था है, लेकिन महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं है. हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने क्लिनिक स्टेबिलिश्ड एक्ट जारी किया है. इस एक्ट के बाद एसिड पीड़ित महिलाओं के इलाज के लिए निजी अस्पताल भी ना नहीं कर पायेंगे. इसमें सरकार एसिड पीड़ित को 3-4 लाख रुपये का मुआवजा देती है.

कुछ गैर सरकारी संस्थाएं भी हैं, जो एसिड पीड़ित महिलाओं की मदद कर रही हैं. कार्यक्रम में कलकत्ता हाइकोर्ट के जस्टिस व एसएलएसए, पश्चिम बंगाल के कार्यकारी चैयरमेन जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि एसिड पीड़ित महिलाओं को दोहरी मार झेलनी पड़ती है. उनको न्याय व मुआवजे के लिए दर-दर भटकना पड़ता है.

उनको काफी यातना सहनी पड़ती है. ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि पीड़ित महिला की एफआइआर के साथ-साथ उसकी एक कॉपी एसपी व अस्पताल को तुरंत भेजी जाये, इससे पीड़िता को भटकना नहीं पड़ेगा. उनको समय पर मुआवजा मिले, इसके लिए स्टेट लीगल सर्विस अॉथोरिटी (सालसा) के कर्मियों को भी काफी मुस्तैदी से काम करना होगा. अगर पीड़ित महिला थाने तक नहीं जा सकती है, तो उसका कोई परिजन भी जाकर रिपोर्ट लिखवा सकता है. इसमें पुलिस को सहयोग करना ही होगा. स्वागत भाषण में महिला आयोग की अध्यक्ष सुनंदा मुखर्जी ने कहा कि समाज में अभी भी महिलाओं के प्रति लोगों का नजरिया नहीं बदला है. महिलाओं पर हाल ही में एसिड के काफी हमले हुए हैं. आरोपी खुले आम घूम रहे हैं. कुछ को सजा हुई है, लेकिन फिर भी अपराधियों में इसको लेकर कोई भय नहीं है.

एसिड पीड़ितों के लिए राज्य सरकार की ओर से तीन लाख व केंद्र सरकार की ओर से एक लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की गयी है. कई महिलाओं को अभी भी मुआवजा की राशि नहीं मिली है. कुछ महिलाएं एनजीओ के भरोसे अलग से किराये के मकान में रह रही हैं, क्योंकि गांव में अपने घर जाने में उनको हमेशा डर सताता रहता है. कार्यक्रम में एसिड पीड़ितों की मदद के लिए काम कर रही गैर सरकारी संस्थाओं ने भाग लिया. यहां दूर-दराज क्षेत्रों से आयी कई एसिड पीड़ित महिलाओं ने अपनी दर्द भरी दास्तां जस्टिस श्री बोस के सामने व्यक्त कीं. कार्यक्रम में एसएलएसए के सदस्य सचिव अजय कुमार गुप्ता व एसएलएसए की रजिस्ट्रार व उप सचिव डॉ माैमिता भट्टाचार्य ने एसिड पीड़ितों के लिए किये जा रहे कानूनी कार्यों, मुआवजे व 2009 में बनी धारा 357ए के बारे मे विस्तार से जानकारी दी.

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