माकपा नेता ने भाजपा और आरएसएस की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि देश में धर्म का नाम लेकर राजनीति की जा रही है. एक धर्म की बातें कर लोगों के बीच मतभेद पैदा करने व उन्हें विभाजित करने की कोशिश जारी है.
इतना ही नहीं नया उदारवादी नीति और पूंजीवादी नीति की वजह से केवल कारपोरेट जगत के लोग मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन किसान, श्रमिक और आम लोगों की स्थिति समय के साथ विषम होती जा रही है. कथित तौर पर गत कुछ वर्षों में आइटी उद्योग में करीब एक लाख से ज्यादा कर्मियों को छंटनी हुई. ऐसे ही स्थिति कई क्षेत्रों की भी रही. श्रमिक और किसानों की स्थिति और दयनीय है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र पर होने वाले हमले, सांप्रदायिकता, पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की जरूरत है.