वादा पूरा करने में रोड़ा बना घाटा

कोलकाता. महानगर के सौंदर्यीकरण व सरकार के लुभावने वादे पूरा करने में कोलकाता नगर निगम का पसीना छूट रहा है. इसकी वजह है निगम का घाटे में चलना. निगम घाटा से उबरने की जुगत में जुट गया है. आय बढ़ाने के लिए निगम अनावश्यक खर्च को कम करने की योजना पर कार्य कर रहा है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2017 7:58 AM
कोलकाता. महानगर के सौंदर्यीकरण व सरकार के लुभावने वादे पूरा करने में कोलकाता नगर निगम का पसीना छूट रहा है. इसकी वजह है निगम का घाटे में चलना. निगम घाटा से उबरने की जुगत में जुट गया है. आय बढ़ाने के लिए निगम अनावश्यक खर्च को कम करने की योजना पर कार्य कर रहा है. निगम सूत्रों के अनुसार अगर निगम ने घाटे के परिमाण को कम नहीं किया तो इसका सीधा असर निकासी एवं जलापूर्ति व्यवस्था पर पड़ेगा. राशि के अभाव में इन परिसेवाओं पर कार्य करने में परेशानी हो सकती है.
खर्च कटौती के लिए आयुक्त ने जारी किया निर्देश : आय बढ़ाने के लिए हाल में ही निगम आयुक्त खलील अहमद ने एक निर्देशिका जारी की है. उन्होंने निगम अधिकारियों को अनावश्यक खर्च से बचने का निर्देश दिया है. साथ ही बकाया संपत्ति कर की वसूली पर भी जोर दिया है. ज्ञात हो कि एक अप्रैल से महानगर में नयी कर प्रणाली यूनिट एरिया असेसमेंट लागू हो गयी है. इसके बावजूद संपत्ति कर वसूली में निगम को विशेष लाभ होता नहीं दिख रहा है. वहीं, नयी कर प्रणाली लागू होने से महानगर वासियों की परेशानी बढ़ गयी हैं. बता दें कि ठेकाकर्मियों के वेतन, यातायात पर आने वाले खर्च को छोड़ कर निगम अन्य सभी प्रकार के खर्च में कटौती की योजना पर कार्य कर रहा है.
कुछ टैक्स में बढ़ोत्तरी की योजना
: निगम के एक आला अधिकारी ने बताया कि निगम अपना आय बढ़ाने के लिए लिए संपत्ति कर के अलावा लाइसेंस, इंटरटेंमेंट (अम्युजमेंट टैक्स) पर लगनेवाले कर में वृद्धि करना चाह रहा है.
बिजली खर्च कम करने पर विचार
: निगम को प्रत्येक वर्ष बिजली बिल पर करीब 32 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं. इसके चलते निगम की ओर से शहर के विभिन्न मार्गों, स्कूल, पंपिंग स्टेशन, सरकारी कार्यालय, निगम मुख्यालय एवं विभिन्न पार्कों मेें साधारण बल्ब को बदल कर एलइडी बल्ब लगाये जा रहे हैं. इससे निगम का बिजली खर्च कम होगा. बता दें कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में निगम ने 159.38 करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया है.

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