तेवर सख्त. सीयू ने अधिसूचना जारी कर दी हिदायत, कहा
कोलकाता. कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने एक अधिसूचना जारी कर छात्रों को यह हिदायत दी है कि यूनिवर्सिटी के किसी भी कैंपस में अब कोई रैली, प्रदर्शन या प्रतिवाद सभा नहीं की जा सकती है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के छात्रों से यह अपील की है कि वे अपना प्रतिवाद सोशल मीडिया के जरिये […]
कोलकाता. कलकत्ता यूनिवर्सिटी ने एक अधिसूचना जारी कर छात्रों को यह हिदायत दी है कि यूनिवर्सिटी के किसी भी कैंपस में अब कोई रैली, प्रदर्शन या प्रतिवाद सभा नहीं की जा सकती है. राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के छात्रों से यह अपील की है कि वे अपना प्रतिवाद सोशल मीडिया के जरिये जाहिर करें. छात्रों को अपनी बात या धार्मिक राजनीति के खिलाफ विरोध करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेना चाहिए. कैंपसों को इसका माध्यम न बनायें.
कलकत्ता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर आशुतोष घोष ने कहा कि अब कैंपस में छात्र कोई रैली या प्रदर्शन नहीं कर पायेंगे, यह अधिसूचना जारी कर दी गयी है. कक्षा चलने के दाैरान कोई भी छात्र अब ऐसा नहीं कर पायेगा. कॉलेज स्कवायर में दो दिनों पहले हुई रैली पर मुख्यमंत्री ने रोक लगवा दी, यह कह कर कि इससे रिसर्च करनेवालों को परेशानी हो रही है. हुगली के चुचुड़ा में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने चेताया कि कॉलेज स्कवायर में दो यूनिवर्सिटी हैं. रैली के दाैरान माइक बजने व शोर से छात्रों को काफी परेशानी होती है. यहां ऐतिहासिक किताब मार्केट भी है, जहां सभी छात्रों का जमावड़ा लगा रहता है.
दूसरी ओर कहा जा रहा है कि इस स्थान पर 200 सालों से कई छात्र आंदोलन होते आ रहे हैं. 1820 में भारतीय एजुकेटर हेनरी डिरोजियो ने इसी स्थान से छात्र आंदोलन किया था. बंगाल में उनके इस आंदोलन ने युवाओं को एक नयी ऊर्जा दी थी. उनके छात्रों को डिरोजियन्स के नाम से जाना जाता था. सामाज सुधारक के रूप में महान नेताओं राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, देवेंद्रनाथ टैगोर व सुरेंद्रनाथ बंद्योपाध्याय जैसे लोगों ने अपना आंदोलन यहीं से शुरू किया था. कई संगठन कलकत्ता यूनिवर्सिटी या कॉलेज स्कवायर में रैली या प्रदर्शन करने पर रोक लगाने की इन नीति का कड़ा विरोध कर रहे हैं.
भाजपा ने की फैसले की निंदा
विरोधी पार्टियों ने सरकार के इस फैसले की निंदा की है. भाजपा के राज्य सचिव शायनतन बसु ने कहा कि सरकार का यह फैसला सही नहीं है. मुख्यमंत्री छात्रों को धार्मिक राजनीति के विरुद्ध उकसा रही हैं. वहीं दूसरी ओर न्याय के लिए आवाज उठानेवालीं छात्र यूनियनों को दबाने की कोशिश कर रही हैं. यह सही नहीं है.