बांग्ला भाषा अनिवार्य किये जाने का मामला गरमाया

सिलीगुड़ी: बंगाल सरकार द्वारा राज्य के सभी स्कूलों में बांग्ला भाषा अनिवार्य किये जाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. सरकार के इस निर्देश के विरोध में सबसे पहले पहाड़ पर आग लगी और अब इस आग की चिंगारी समतल में भी फूट पड़ी है. सरकार के शिक्षा विरोधी नीति के विरोध में सिलीगुड़ी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 3, 2017 8:13 AM
सिलीगुड़ी: बंगाल सरकार द्वारा राज्य के सभी स्कूलों में बांग्ला भाषा अनिवार्य किये जाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. सरकार के इस निर्देश के विरोध में सबसे पहले पहाड़ पर आग लगी और अब इस आग की चिंगारी समतल में भी फूट पड़ी है. सरकार के शिक्षा विरोधी नीति के विरोध में सिलीगुड़ी में ‘मातभाषा बुलाउदेउछु’ नामक एक संगठन के बैनर तले कुछ युवक एकजूट हुए हैं.

शुक्रवार को शहर में राज्य सरकार के विरोध में आंदोलन करने के लिए ये युवक स्थानीय बाघाजतीन पार्क में इकट्ठे भी हुए. लेकिन आंदोलन शुरु होने से पहले ही पुलिस प्रशासन ने युवकों के हौसले को पस्त कर दिया. आंदोलन की सूचना मिलते ही सिलीगुड़ी थाना के इंस्पेक्टर देवाशीष बोस दलबल के साथ बाघाजतीन पार्क के सामने पहुंचे और आंदोलनकारी युवकों को तितर-बितर कर दिया.

युवकों से बातचीत कर श्री बोस ने सबों को जबरन हटा दिया. उनका कहना है कि आंदोलन के लिए युवकों ने प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली थी. दूसरी ओर आंदोलनकारी युवकों का कहना है कि हाल ही में बंगाल सरकार की ओर से एक निर्देशि जारी किया गया है. इस निर्देशि में राज्य के सभी स्कूलों में बांग्ला भाषा सभी समुदाय के छात्र-छात्राओं को पढ़ना अनिवार्य किया गया है. ऐच्छिक विषय के तौर पर छात्र-छात्राएं अन्य कोई दो भाषा ले सकते हैं. युवकों का कहना है कि बंगाल सरकार का यह निर्देशि एक तुगलकी फरमान है. छात्र-छात्राओं को अपनी इच्छा से किसी भी संवैधानिक भाषा में पढ़ने का अधिकार है. सरकार यह अधिकार छात्रों से जबरन ले नहीं सकती. शिक्षा के मंदिर में बंगाल सरकार का जबरन हस्तक्षेप के विरोध में राज्य भर में आंदोलन शुरु हो रहा है. युवकों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने अपना तुगलकी फरमान वापस नहीं लिया तो आंदोलन तेज होगा.

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