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बाढ़ संबंधी मामले को लेकर हाइकोर्ट जायेंगे अधीर

राज्य में बाढ़ को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. सीएम ममता बनर्जी इसके लिए डीवीसी को जिम्मेवार ठहराते हुए मैन मेड फ्लड साबित करने पर तुली हैं, जबकि डीवीसी का दावा है कि उसने समय पर सभी को बांध से पानी छोड़ने के संबंध में सूचित कर दिया था.

कोलकाता.

राज्य में बाढ़ को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. सीएम ममता बनर्जी इसके लिए डीवीसी को जिम्मेवार ठहराते हुए मैन मेड फ्लड साबित करने पर तुली हैं, जबकि डीवीसी का दावा है कि उसने समय पर सभी को बांध से पानी छोड़ने के संबंध में सूचित कर दिया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी डीवीसी विवाद को लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं. बुधवार को उन्होंने धर्मतला धरना मंच से कहा कि वह जानना चाहते हैं कि डीवीसी के बारे में कौन सच बोल रहा है, लोगों की शंकाओं को दूर करने के लिए इन सवालों के जवाब जरूरी हैं, इसलिए उन्होंने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने का फैसला किया है. मुख्यमंत्री ने राज्य में बाढ़ की स्थिति के लिए सबसे पहले पानी छोड़ने के डीवीसी के फैसले को जिम्मेदार ठहराया है. अधीर ने कहा : ममता पहले भी ””मानव निर्मित”” बाढ़ की बात कर चुकी हैं. अभी भी कह रहा हूं, मैंने इस संबंध में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है, ताकि इसकी जांच करायी जाये. यह केंद्र की गलती है, राज्य की गलती है, या फिर दोनों की गलती है? इसे लेकर बंगाल के लोग संशय में हैं. उन्होंने कहा कि मैं इसके बारे में विवरण जानता हूं. बाढ़ नियंत्रण समझौता 1964 से लागू है. शुरुआत में यह समझौता बिहार, बंगाल और डीवीसी के बीच था. बिहार के टूटने के बाद झारखंड, बंगाल और केंद्र के बीच समझौता हुआ. डीवीसी अकेले निर्णय लेकर पानी नहीं छोड़ सकता. राज्य के विभिन्न जिलों को सात दिन पहले ही चेतावनी दे दी गयी थी कि डीवीसी पानी छोड़ सकता है. तो फिर मुख्यमंत्री सही हैं, या उनका कार्यालय सही है? यह स्पष्ट होना चाहिए. अधीर का दावा है कि तृणमूल डीवीसी पर ””””””””दोष मढ़कर”””””””” अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश कर रही हैं.

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