जारी हुआ ‘बांग्लार बाड़ी’ संंबंधी शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक ‘बांग्लार बाड़ी’ के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है. राज्य सरकार की ओर से एक टोल-फ्री नंबर जारी किया गया है, जिसके जरिये योजना के लाभार्थी किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करा सकते हैं.
कोलकाता.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक ‘बांग्लार बाड़ी’ के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य प्रशासन पूरी तरह से तत्पर है. राज्य सरकार की ओर से एक टोल-फ्री नंबर जारी किया गया है, जिसके जरिये योजना के लाभार्थी किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज करा सकते हैं. राज्य सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, टोल फ्री नंबर (18008899451) पर कॉल कर लाभार्थी योजना से संबंधित किसी भी तरह की शिकायत दर्ज करा सकते हैं, ताकि बांग्लार बाड़ी योजना पक्षपात और भ्रष्टाचार से मुक्त हो.साथ ही राज्य सरकार ने योजना पर निगरानी के लिए एक ऐप लॉन्च करने का भी फैसला किया है. सरकार इस योजना के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की शिकायत नहीं चाहती है. इसलिए योजना के क्रियान्वयन के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनायी है.
योजना के तहत प्रत्येक पात्र परिवार को घर बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये मिलेंगे. पहली किस्त के रूप में 60,000 रुपये जारी कर दिये गये हैं. राज्य सचिवालय के अनुसार, प्रदेश के लगभग 12 लाख लोगों को 60-60 हजार रुपये की प्रथम किस्त प्रदान की गयी है. हालांकि, जंगलमहल और दार्जिलिंग हिल्स के कुछ क्षेत्रों में लाभार्थियों को 1.30 लाख रुपये मिलेंगे.ज्ञात रहे कि केंद्र सरकार द्वारा पश्चिम बंगाल को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना का फंड आवंटन बंद करने के बाद राज्य सरकार ने 17 दिसंबर को ‘बांग्लार बाड़ी’ योजना की शुरूआत की और प्रथम चरण में 12 लाख लोगों के बैंक खाते में 60-60 हजार रुपये डाल रही है.
सूत्रों ने बताया कि पंचायत विभाग ने निर्देश दिया है कि ब्लॉक स्तर के अधिकारी ‘बांग्लार बाड़ी’ योजना के तहत घरों की प्रक्रिया की निगरानी करेंगे. साथ ही भौतिक निरीक्षण के लिए प्रत्येक घर का दौरा करेंगे. 2025 में अन्य 18 लाख लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया जायेगा. इस पर कुल 14,773 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. राज्य सरकार ने 28 लाख लाभार्थियों की सूची तैयार की थी.योजना के तहत केंद्र सरकार ने राज्य को बंद कर दिया है फंड देना
पहले केंद्र पीएमएवाई के तहत 60 प्रतिशत राशि प्रदान करता था, जबकि राज्य 40 प्रतिशत देता था. वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के बाद 2022 में केंद्र ने राज्य को फंड देना बंद कर दिया. आरोप था कि इस योजना का लाभ सिर्फ सत्तारूढ़ दल के करीबी लोगों को मिल रहा है. इस साल की शुरुआत में पुरुलिया, पश्चिम बर्दवान, हुगली, दक्षिण 24 परगना और बीरभूम जिलों में ऐसे आरोपों को लेकर विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है