Loading election data...

मेदिनीपुर के अस्पतालों में अवैध ठेके पर कोर्ट सख्त, सुरक्षा एजेंसी का अनुबंध रद्द

मेदिनीपुर के सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा का काम एक एजेंसी को अवैध रूप से सौंपे जाने के आरोप के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट ने उस एजेंसी का ठेका रद्द कर दिया है. साथ ही, कोर्ट ने एजेंसी के सुरक्षा कर्मियों को तुरंत अस्पताल से हटाने और जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं. पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर के अस्पतालों में सुरक्षा कार्य का ठेका एक एजेंसी को दिया गया था. शिकायत के अनुसार, एजेंसी को यह काम सही प्रक्रिया का पालन किये बिना दिया गया था. नियमों के अनुसार टेंडर प्रक्रिया से एक कंपनी को यह ठेका मिला था, लेकिन उसे दरकिनार कर दूसरी एजेंसी को अनुबंध दे दिया गया. इसी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने पाया कि यह अनुबंध नियमों का उल्लंघन है.

By Prabhat Khabar News Desk | October 29, 2024 11:04 PM
an image

कोलकाता.

मेदिनीपुर के सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा का काम एक एजेंसी को अवैध रूप से सौंपे जाने के आरोप के बाद कलकत्ता हाइकोर्ट ने उस एजेंसी का ठेका रद्द कर दिया है. साथ ही, कोर्ट ने एजेंसी के सुरक्षा कर्मियों को तुरंत अस्पताल से हटाने और जिले के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं. पूर्व और पश्चिम मेदिनीपुर के अस्पतालों में सुरक्षा कार्य का ठेका एक एजेंसी को दिया गया था. शिकायत के अनुसार, एजेंसी को यह काम सही प्रक्रिया का पालन किये बिना दिया गया था. नियमों के अनुसार टेंडर प्रक्रिया से एक कंपनी को यह ठेका मिला था, लेकिन उसे दरकिनार कर दूसरी एजेंसी को अनुबंध दे दिया गया. इसी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने पाया कि यह अनुबंध नियमों का उल्लंघन है. हाइकोर्ट की न्यायाधीश शंपा दत्ता पाल ने निर्देश दिया कि जिन एजेंसियों को टेंडर में सफलता मिली थी, उनके स्थान पर असफल ठेकेदारों को काम देने का निर्णय तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाये. इस पर अमल के लिए मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.

मामले के याचिकाकर्ता के अनुसार, टेंडर के अनुसार मेदिनीपुर के अस्पतालों में सुरक्षा का जिम्मा ‘एमएम सिक्योरिटीज’ को मिलना चाहिए था, जो टेंडर की असली हकदार थी. लेकिन इसके बजाय इस एजेंसी को बिना कारण हटाने का नोटिस जारी किया गया. कोर्ट ने फिलहाल उस नोटिस को स्थगित कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों से हलफनामे में यह भी पूछा है कि एजेंसी को अनुबंध देने का आधार क्या था और किसके कहने पर यह काम किया गया. अगली सुनवाई में मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों को हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है, जिससे पूरी प्रक्रिया का स्पष्ट विवरण कोर्ट में रखा जा सके.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version