नियुक्ति घोटाले में पार्थ को छूट दिये जाने को लेकर अदालत में आवेदन
मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने जताया एतराज
मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने जताया एतराज कोलकाता. शिक्षक नियुक्ति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) द्वारा दर्ज किये गये मामले में विचार भवन स्थित स्पेशल पीएमएलए कोर्ट में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत 54 आरोपियों के खिलाफ गुरुवार को चार्ज गठन की प्रक्रिया शुरू हुई है. इसके एक दिन बाद यानी शुक्रवार को चार्ज गठन की प्रक्रिया के तहत जिन आरोपियों ने मामले में छूट दिये जाने का आवेदन किया है, उसे लेकर अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान पार्थ की ओर से मामले में छूट दिये जाने का आवेदन किया गया, जिसका इडी ने विरोध जताया. और 10 आरोपियों ने भी मामले में छूट दिये जाने का आवेदन किया है. मामले की सुनवाई के दौरान पार्थ चटर्जी के वकील ने दावा किया उनके मुवक्किल भ्रष्टाचार के उक्त मामले में संलिप्त नहीं हैं. प्राथमिक शिक्षा बोर्ड एक स्वायत्त संस्था है. उनके मुवक्किल की नियुक्तियों में भी कोई भूमिका नहीं है. गत 22 जुलाई 2022 को इडी ने पार्थ के नाकतला स्थित घर पर छापेमारी की थी. उसी दिन पार्थ की करीबी बतायी जाने वाली अर्पिता मुखर्जी के टॉलीगंज व बेलघरिया स्थित फ्लैटों में भी अभियान चलाया गया था. जांच में इडी ने पार्थ के आवासों से करीब 49.8 करोड़ रुपये नकद व पांच करोड़ के गहने जब्त किये थे. सुनवाई के दौरान जब्त नकदी व गहनों का जिक्र करते पूर्व शिक्षा मंत्री के वकील ने यह भी कहा कि चार अगस्त 2022 को अर्पिता ने आरोप लगाया था कि उसके घर से बरामद पैसे उसके नहीं, बल्कि पार्थ चटर्जी के हैं. लेकिन लिखित बयान में कोई हस्ताक्षर नहीं है. चटर्जी की ओर से यह सवाल किया गया कि किसी के घर से कुछ मिलता है, तो क्या उसके जिम्मेदार वह हैं? उन्हें यह कैसे पता चलेगा कि किसी ने उनके खिलाफ जबर्दस्ती बयान पर हस्ताक्षर कराया हो? इधर, इडी की ओर से आरोप लगाया गया कि तीन शेल यानी फर्जी कंपनियां बनाकर भ्रष्टाचार की राशि की हेराफेरी की गयी है और चटर्जी के निर्देश पर ही उन कंपनियों के फर्जी निदेशक भी बनाये गये थे. इसके बाद चटर्जी के वकील ने कहा कि इडी ने जितनी कंपनियों का अदालत में उल्लेख किया था, उनमें पांच लोगों के निदेशक होने की बात कही थी. उनमें से दो लोगों के बयान दर्ज किये जाने की बात भी उल्लेख किया जा चुका है. उनमें से एक को उनके मुवक्किल पहचानते तक नहीं. चटर्जी की ओर से दावा किया गया कि उनके घर से केंद्रीय जांच एजेंसी को मामले से संबंधित कुछ नहीं मिला है. इसके बाद ही उनके वकील ने आवेदन किया कि उनके मुवक्किल व पूर्व शिक्षा मंत्री भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त नहीं हैं. उनके खिलाफ कोई अहम तथ्य नहीं मिले हैं. ऐसे में चटर्जी को मामले में छूट दी जाए हालांकि, ईडी की ओर से इसका विरोध किया गया. इस दिन अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अर्पिता मुखर्जी के अधिवक्ता अविक घटक ने दावा किया कि उनके मुवक्किल का नाम मामले में दर्ज की गयी प्राथमिकी में नहीं है. मुखर्जी के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी कुछ अहम तथ्य पेश नहीं कर पायी है. ईडी के साथ सीबीआइ मामले की जांच कर रही है. उन्होंने भी को अहम तथ्य पेश नहीं किया है. करीब ढाई वर्षों से ईडी ने जांच में मुखर्जी के खिलाफ अहम तथ्य पेश नहीं किया है. आलम यह रहा कि मुखर्जी के वकील ने ही अदालत में सवाल किया कि उनके मुवक्किल के आवास पर करोड़ों की राशि कहां से आयी, वह खुद नहीं जानती हैं. ईडी को जांच मेंं यह तथ्य पेश करना चाहिए था कि मुखर्जी के आवास में करोड़ों की राशि कहां से और किसके जरिये आये. मुखर्जी के वकील ने भी अपने मुवक्किल को मामले में छूट देने की अपील की. इधर, एक अन्य आरोपी माणिक भट्टाचार्य ने भी ईडी की जांच पर सवाल उठाते हुए मामले में छूट देने का आवेदन किया.
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