कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट में एक आरोपी की जमानत की मांग को लेकर याचिका दायर की गयी थी. जब तक यह मामला कोर्ट में सुनवाई के लिए आया, तो याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने ऐसी याचिका दायर ही नहीं की है. आरोपी के अधिवक्ता शेख जियाउल ने मंगलवार को अदालत में दावा किया कि उनके नाम पर किसी ने फर्जी वकालतनामा जमा कर जमानत के लिए आवेदन किया है. यह सुनने के बाद न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी और न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रॉय की खंडपीठ ने घटना की सीआइडी जांच का आदेश दिया. कोर्ट ने सीआइडी को पूजा की छुट्टियों के बाद एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. सूत्रों के अनुसार, जैद मोहम्मद नामक व्यक्ति ने भारतीय दंड संहिता की धारा 439 के तहत जमानत याचिका दायर की. उस मामले में आरोपी की बेटी और वकालतनामा पर हस्ताक्षर करने वाले वकील (शेख जियाउल) को डिवीजन बेंच ने अदालत में बुलाया था. तब वकील ने कहा कि उन्होंने अदालत में कोई वकालतनामा जमा नहीं किया है. इसके बाद न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी और न्यायाधीश अपूर्व सिन्हा रॉय की खंडपीठ ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है? इसमें जरूर कुछ गड़बड़ी हुई है. पीठ ने घटना की सीआइडी जांच का आदेश दिया. हालांकि, इस मामले में जेल अधीक्षक की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. हाइकोर्ट ने राज्य के सीआइडी विभाग के एडीजी को मामले की तुरंत जांच कर 11 नवंबर तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया.
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