शिक्षाविदों ने की बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र के फैसले की सराहना
उन्होंने कहा : राज्य सरकार ने इस संबंध में जल्द ही कई दस्तावेज प्रस्तुत किये और छह-सात महीने की अवधि में मान्यता मिल गयी.
एजेंसियां, कोलकाता. बंगाली पहचान व संस्कृति को बढ़ावा देने वाले समूहों और शिक्षाविदों ने बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के केंद्र के फैसले की सराहना की है और उम्मीद जतायी है कि इससे आधिकारिक संचार व परीक्षाओं में बांग्ला का अधिक उपयोग हो सकेगा. प्रख्यात भारतविद् (इंडोलॉजिस्ट) और भाषाविद् नृसिंह प्रसाद भादुड़ी ने आशा व्यक्त की कि बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से अखिल भारतीय स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाओं में इस भाषा का इस्तेमाल बढ़ेगा, विज्ञान व अर्थशास्त्र में इस्तेमाल होने वाले अंग्रेजी शब्दों के समानार्थी शब्दों का अधिक प्रयोग होगा और विद्यार्थी अपनी परीक्षाओं में इन बांग्ला समानार्थी शब्दों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित होंगे. भादुड़ी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को धन्यवाद देते हुए कहा किे उन्होंने और अन्य शिक्षाविदों ने मुख्यमंत्री का ध्यान इस तथ्य की ओर खींचा कि बांग्ला का हजारों साल पुराना इतिहास होने के बावजूद इसे शास्त्रीय भाषा का दर्जा नहीं दिया गया है. उन्होंने कहा : राज्य सरकार ने इस संबंध में जल्द ही कई दस्तावेज प्रस्तुत किये और छह-सात महीने की अवधि में मान्यता मिल गयी. ‘भाषा अध्ययन संस्थान’ (आइएलएस) के शोधकर्ताओं में शामिल विशेषज्ञ अमिताभ दास ने कहा कि इस सम्मान के लिए मानदंड यह साबित करना है कि भाषा 1500-2000 साल पुरानी है. राज्य शिक्षा विभाग ने आइएलएस को यह साबित करने का काम सौंपा था. महानगर में स्थित केके दास कॉलेज की वरिष्ठ प्रोफेसर अंजना भद्र ने उम्मीद जतायी कि बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने के बाद केंद्र की पहल पर बांग्ला भाषा में शोध और अध्ययन जारी रखने के लिए उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जायेगी. ममता बनर्जी ने बांग्ला को यह दर्जा दिये जाने की मंजूरी मिलने के बाद सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा था : मुझे यह बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने अंतत: बांग्ला को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दे दिया है. उन्होंने कहा था : हम भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से यह दर्जा प्राप्त करने का प्रयास कर रहे थे और हमने अपने दावे के पक्ष में शोध निष्कर्षों के तीन खंड प्रस्तुत किये थे. केंद्र सरकार ने हमारे शोधपूर्ण दावे को स्वीकार कर लिया है और हम अंततः भारत में भाषाओं के समूह में सांस्कृतिक शिखर पर पहुंच गये हैं.
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