कोर्ट ने नंदीग्राम आंदोलन में हत्या के 10 मामले फिर से शुरू करने को कहा
हत्या के 10 मामले फिर से शुरू करने को कहा
कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने कहा है कि 2007 में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के दौरान नंदीग्राम और खेजुरी में हुई हत्याओं से संबंधित 10 आपराधिक मामलों में आरोपी व्यक्तियों पर मुकदमा चलना चाहिए. साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया कि इन मामलों को फिर से शुरू कर मुकदमा चलाया जाये. न्यायाधीश देबांग्शु बसाक की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कम से कम 10 लोगों की हत्या से जुड़े मामलों में अभियोजन वापस लेने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को कानूनन गलत बताया. पीठ ने निर्देश दिया कि अभियोजन पक्ष द्वारा मामलों को फिर से शुरू करने के लिए जरूरी कदम उठाया जाये. इन मामलों को 2020 में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 321 (संबंधित अदालत की सहमति से अभियोजन पक्ष द्वारा किसी व्यक्ति के खिलाफ अभियोजन वापस लेना) के तहत वापस ले लिया गया था. अदालत ने सोमवार को सुनाये गये अपने फैसले में कहा कि हत्याएं हुई थीं, इसलिए 10 आपराधिक मामलों में आरोपियों पर मुकदमा चलना चाहिए. पीठ ने कहा : दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत अभियोजन पक्ष को मामला वापस लेने की अनुमति देना जनहित में नहीं होगा. वास्तव में, इससे जनता को नुकसान और क्षति पहुंचेगी. पीठ में न्यायाधीश मोहम्मद शब्बर रशीदी भी शामिल हैं. उच्च न्यायालय ने कहा कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 को लागू करने के राज्य के फैसले को कानूनी या वैध नहीं कहा जा सकता. मामलों में अभियोजन वापस लेने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले को खारिज करते हुए पीठ ने कहा: यह उम्मीद की जाती है कि जिन अदालतों में अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत आवेदन स्वीकार करने के आदेश पारित किये गये थे, वहां आपराधिक मामलों के प्रभारी सरकारी वकील इस फैसले और आदेश की तारीख से एक पखवाड़े के भीतर उपयुक्त कदम उठायेंगे. अदालत ने कहा: इसकी गलत व्याख्या राजनीतिक हिंसा को बढ़ावा देने के रूप में की जा सकती है, जबकि संवैधानिक प्रावधान किसी भी सरकार को किसी भी तरीके या रूप में हिंसा को हतोत्साहित करने के लिए बाध्य करते हैं. अदालत ने कहा कि समाज में किसी भी प्रकार की हिंसा का उन्मूलन एक आदर्श है, जिसके लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए. इसने कहा कि लोकतंत्र में, चुनाव से पहले या बाद में किसी भी तरह की हिंसा से बचना चाहिए. पीठ ने कहा: सरकार को किसी भी प्रकार की हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता दिखानी चाहिए. क्या कहा हाइकोर्ट ने वर्ष 2007 में नंदीग्राम और पूर्व मेदिनीपुर जिले के खेजुरी में विभिन्न घटनाओं में 10 से अधिक लोगों की हत्या होने का उल्लेख करते हुए पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाओं से संबंधित आपराधिक मामलों को शांति और सौहार्द की वापसी के आधार पर अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 321 के तहत वापस लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. भागवत की सभा की अनुमति के लिए हाइकोर्ट पहुंचा संघ कोलकाता. बर्दवान में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम को अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक ने कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. संघ का कहना है कि साईं कॉम्प्लेक्स में प्रस्तावित कार्यक्रम में स्थानीय प्रशासन बाधा पहुंचा रहा है. रविवार को आयोजित होनेवाले इस कार्यक्रम में मोहन भागवत मौजूद रहेंगे. याचिकाकर्ता का कहना है कि रविवार को छुट्टी के दिन यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. पास में ही एक स्कूल है, जहां इस समय माध्यमिक परीक्षा चल रही है. एसडीओ परीक्षा का हवाला देकर कार्यक्रम के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं. कार्यक्रम की अनुमति के लिए आवेदन को न्यायाधीश अमृता सिन्हा ने स्वीकार कर लिया है. शुक्रवार को मामले में सुनवाई होगी.
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