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फर्जी कागजात के जरिये चिटफंड कंपनी से रुपये ऐंठने वालों की जमानत अर्जी खारिज

कोर्ट के आदेश पर ही पूर्व न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार को इस समिति का चेयरमैन बनाया गया था.

कोलकाता. चिटफंड कंपनी में रकम जमा करने वाले जमाकर्ताओं को उनकी रकम वापस दिलाने के लिए हाइकोर्ट ने एक समिति का गठन किया था. कोर्ट के आदेश पर ही पूर्व न्यायाधीश सुब्रत तालुकदार को इस समिति का चेयरमैन बनाया गया था. जमाकर्ताओं को उनकी रकम वापस किये जा रहे थे कि इसी बीच पिता और बेटे ने मिलकर फर्जी दस्तावेज दिखाकर कंपनी से लाखों रुपये ऐंठ लिये. घटना की शिकायत थाने में दर्ज होते ही दोनों ने अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में एक याचिका दायर की. सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जयमाल्य बागची और न्यायाधीश गौरांग कंठ की खंडपीठ ने दोनों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने हेयर स्ट्रीट पुलिस स्टेशन के जांच अधिकारी को घटना की निष्पक्ष जांच करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि इस मामले में अगर समिति का कोई सदस्य शामिल है, तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाये, क्योंकि कोर्ट चाहती है कि मूल जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिले. जानकारी के अनुसार, संदीपन दत्त और उसके बेटे ने चिटफंड कंपनी (एमपीएस) के 71 फर्जी दस्तावेज जमा करके 25 लाख रुपये ले लिये. इसके कुछ दिनों बाद असली जमाकर्ता सही दस्तावेज लेकर समिति के पास पहुंचा और रुपये देने के लिए कहा. इसके बाद ही इस घटना का खुलासा हुआ. पीड़ित ने हेयर स्ट्रीट थाने में शिकायत दर्ज करायी. शिकायत दर्ज होते ही संदीपन दत्त के बेटे ने खुदकुशी करने की कोशिश की. अभी वह अस्पताल में भर्ती है. गिरफ्तारी से बचने के लिए संदीपन दत्ता और उसके बेटे ने हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दायर कर दी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि एमपीएस समेत सभी अवैध वित्तीय संस्थानों की सुनवाई एक ही कोर्ट में होगी. न्यायाधीश जयमाल्य बागची ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है. पुलिस को यह पता लगाना होगा कि इस धोखाधड़ी में समिति का कोई सदस्य शामिल है या नहीं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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