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कई मेडिकल कॉलेजों में बेड खाली, नहीं हो पा रही सर्जरी

आरजी कर की घटना के खिलाफ विगत 37 दिनों से जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल जारी है. राज्य स्वास्थ्य विभाग का कहना है इस हड़ताल से सरकारी मेडिकल कॉलेजों की चिकित्सा व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 17, 2024 1:55 AM

स्वास्थ्य विभाग ने माना- जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से चरमरा गयी है चिकित्सा व्यवस्था

संवाददाता, कोलकाता

आरजी कर की घटना के खिलाफ विगत 37 दिनों से जूनियर डॉक्टरों को हड़ताल जारी है. राज्य स्वास्थ्य विभाग का कहना है इस हड़ताल से सरकारी मेडिकल कॉलेजों की चिकित्सा व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. इमरजेंसी, आउटडोर व इंडोर विभाग में भर्ती मरीजों को परेशानी हो रही है. आउटोडर विभाग में मरीजों की संख्या पहले की तुलना में कम हो गयी है. कई मेडिकल कॉलेजों में बेड खाली हैं. मरीजों की सर्जरी तक नहीं हो पा रही है.

स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, जुलाई में महानगर के पांच मेडिकल कॉलेजों में कुल 13,031 सर्जरी की गयी थी. अगस्त में मात्र 5,417 सर्जरी हुई है. हृदय संबंधी बीमारियों के लिए कैथ लैब में जुलाई में लगभग 1,700 मरीजों का इलाज किया गया था. अगस्त में मात्र 808 मरीजों का ही इलाज हुआ. सबसे खराब हालत आरजी कर मेडिकल कॉलेज की है. यहां के सभी वार्ड में बेड खाली हैं. जुलाई में यहां लगभग 83 प्रतिशत मरीजों को भर्ती लिया गया था. यह अगस्त में घटकर 39 प्रतिशत हो गया है. यही हाल एसएसकेएम (पीजी) का भी है. यहां जुलाई में लगभग 80 प्रतिशत मरीजों को भर्ती लिया गया था, जो अगस्त में घटकर 62 प्रतिशत पर आ गया.

राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मेडिकल कॉलेजों की सेवाओं पर गंभीर असर पड़ रहा है. हालांकि, उप-मंडल और जिला अस्पतालों में स्थिति सामान्य है. पर गंभीर बीमारियों की चिकित्सा के लिए लोग कोलकाता के पांच मेडिकल कॉलेजों में पहुंचते हैं. यहां 85 फीसदी कार्यभार जूनियर डॉक्टर ही संभालते हैं. फिलहाल वरिष्ठ डॉक्टर ओवरटाइम काम कर रहे हैं, लेकिन यह दबाव को संभालने के लिए पर्याप्त नहीं है.

बता दें कि एसएसकेएम, नील रतन सरकार (एनआरएस), कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज, कोलकाता मेडिकल कॉलेज और आरजी कर मेडिकल कॉलेज राज्य के पांच बड़े मेडिकल कॉलेज हैं. महानगर स्थित इन अस्पतालों में इलाज के लिए बंगाल सहित दूसरे राज्य से भी मरीज आते हैं.

उधर, उक्त मेडिकल कॉलेजों के सीनियर डॉक्टरों का कहना है कि वह पिछले एक महीने से बिना छुट्टी लिये लगातार कार्य कर रहे हैं. उनका कहना है कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मेडिकल कॉलेजों का कामकाज किसी भी तरह से प्रभावित नहीं है.

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