ममता सरकार के खिलाफ बंगाल भाजपा का आरोप, कहा- राज्य में आपातकाल से भी बदतर हालात, कोरोना संभालने में मुख्यमंत्री हुई असफल

पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip ghosh) ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में आपातकाल से भी बदतर हालात हैं. 1977 के आपातकाल से भी राज्य की बुरी स्थिति है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2020 10:24 PM

कोलकाता : पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष (Dilip ghosh) ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamta Banerjee) के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में आपातकाल से भी बदतर हालात हैं. 1977 के आपातकाल से भी राज्य की बुरी स्थिति है. श्री घोष शुक्रवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं. इसके पूर्व श्री घोष ने पार्टी कार्यालय से चक्रवाती तूफान अम्फान से प्रभावित परिवारों को मदद देने के लिए राहत सामग्री रवाना किया.

श्री घोष ने कहा कि पश्चिम बंगाल में एक बांग्ला अखबार के संपादक को थाना में बुलाकर पूछताछ की जा रही है. भाजपा सांसदों को चक्रवात प्रभावित इलाकों में राहत वितरण करने से रोका जा रहा है. उन्हें रोका गया. आज लॉकेट चटर्जी को रोका गया. भाजपा के नेताओं व सांसदों को रोका जा रहा है. राज्य में तानाशाही है. यह राज्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं. आपातकाल से भी बुरी स्थिति है. यदि आज इसका विरोध नहीं किया गया, तो स्थिति और भी बिगड़ेगी.

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उन्होंने सवाल किया कि भाजपा पर अंगुली उठाने पर बुद्धिजीवी आज कहां हैं ? वे क्यों नहीं विरोध कर रहे हैं ? श्री घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रवासी श्रमिकों की वापसी को लेकर आने वाले ट्रेन को लेकर आपत्ति जता रही हैं तथा वह केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रही हैं, लेकिन वास्तव में शुरू से ही उनकी इच्छा कोरोना मुकाबले की नहीं है.

प्रधानमंत्री ने बार-बार बैठक कीं, लेकिन मुख्यमंत्री ने कभी विरोधी दलों के नेताओं के साथ संपर्क नहीं किया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कभी चक्रवाती तूफान का बहाना बना रही हैं, तो कभी केंद्र सरकार पर दोषारोपण कर रही हैं. मुख्यमंत्री की दोषारोपण करने की आदत रही हैं. अब कह रही हैं कि केंद्र सरकार संभालें.

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श्री घोष ने कहा कि मुख्यमंत्री को ही पूरी जिम्मेवारी लेनी होगी. राशन घोटाला होने पर खाद्य सचिव को हटा दिया गया. कोरोना मामले में विफल होने पर स्वास्थ्य सचिव को हटा दिया और अब कोरोना व चक्रवाती तूफान संभालने में विफल होने की जिम्मेदारी से भी बचना चाहती हैं. पूरे देश में लगभग 90 लाख प्रवासी श्रमिक वापस लौटे हैं, लेकिन वहां कोई समस्या नहीं हुई. राज्य में न तो कोरेंटिन सेंटर की व्यवस्था है और न ही जांच की.

Posted By : Samir ranjan.

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