भूमि अधिग्रहण बाधाओं के चलते बंगाल की परियोजनाओं में हो रही देरी : रेल मंत्रालय
बयान के मुताबिक एक अप्रैल, 2024 तक पश्चिम बंगाल में 43 रेलवे परियोजनाएं चालू थीं, जिनकी कुल लंबाई 4,479 किलोमीटर है और लागत 60,168 करोड़ रुपये है.
भूमि अधिग्रहण के कारण पांच परियोजनाएं लंबित
कोलकाता. रेल मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल में कई रेलवे परियोजनाओं में देर हो रही है, जिसका मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाना है. मंत्रालय ने बयान में कहा कि आवंटित राशि में पर्याप्त वृद्धि हुई है और आवंटन 2009-14 के दौरान 4,380 करोड़ रुपये से तीन गुना बढ़कर 2024-25 में 13,941 करोड़ रुपये हो गया है. इसके बावजूद परियोजनाओं में देरी हो रही है. बयान के मुताबिक एक अप्रैल, 2024 तक पश्चिम बंगाल में 43 रेलवे परियोजनाएं चालू थीं, जिनकी कुल लंबाई 4,479 किलोमीटर है और लागत 60,168 करोड़ रुपये है. ये परियोजनाएं पूरी या आंशिक रूप से पश्चिम बंगाल में हैं. ये परियोजनाएं पूर्व रेलवे, दक्षिण पूर्व रेलवे और पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के तहत आती हैं. इन परियोजनाओं में नयी लाइन बिछाने और आधुनिकीकरण का कार्य शामिल है. मंत्रालय ने कहा कि इनमें से 1,655 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और इस पर मार्च 2024 तक 20,434 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. मंत्रालय ने कहा कि बंगाल में अधिग्रहण एक बड़ी समस्या है, क्योंकि कुल 3,040 हेक्टेयर की आवश्यकता में केवल 640 हेक्टेयर (21 प्रतिशत) का अधिग्रहण किया गया है.लंबित कुछ प्रमुख परियोजनाएं
नवद्वीप घाट-नवद्वीप धाम नयी लाइन (10 किलोमीटर) चंदनेश्वर-जलेश्वर नयी लाइन (41 किमी)नैहाटी-राणाघाट तीसरी लाइन (36 किमी)बालुरघाट-हिल्ली नयी लाइन (30 किमी)सैंथिया में बाइपास (पांच किमी.) और सीतारामपुर (सात किमी.)डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है