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भारत-चीन सीमा से सैनिकों की वापसी से द्विपक्षीय संबंध बेहतर होने की उम्मीद

पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में भारत-चीन सीमा पर सैनिकों की वापसी से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वहां जल्द ही सेना की गश्त शुरू होने की उम्मीद है.

मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित एक सत्र में बोले चीनी राजदूत कोलकाता. भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने बुधवार को उम्मीद जतायी कि पूर्वी लद्दाख से लगती भारत-चीन सीमा से दोनों देशों के सैनिकों की वापसी पूरी होने से रिश्तों को बेहतर करने और आने वाले दिनों में दोनों पड़ोसियों के बीच बेहतर समझ बनाने में मदद मिलेगी. चीनी राजनयिक ने यहां ‘मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री’ (एमसीसीआई) द्वारा आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई हालिया बैठक ‘बहुत महत्वपूर्ण’ थी. इस मौके पर एमसीसीआइ के अध्यक्ष अमित सरावगी ने चीनी राजदूत का स्वागत किया. इस अवसर पर एमसीसीआइ के उपाध्यक्ष मुनीश झाझरिया, ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन अरुण कुमार गारोदिया सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे. वहीं, पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में भारत-चीन सीमा पर सैनिकों की वापसी से संबंधित एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वहां जल्द ही सेना की गश्त शुरू होने की उम्मीद है. उम्मीद है कि इस आम सहमति के आलोक में भविष्य में रिश्ते सुचारू रूप से आगे बढ़ेंगे और दोनों पक्षों के बीच विशिष्ट असहमतियों के कारण सीमित और बाधित नहीं होंगे. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मतभेदों को कैसे दूर किया जाय. पिछले पांच वर्षों में दोनों नेताओं के बीच यह पहली औपचारिक वार्ता थी, जिसमें महत्वपूर्ण सहमति बनी तथा दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों के आगे बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देश तय किये गये. चीन और भारत के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू होने के संदर्भ में उन्होंने कहा, ‘एक राजदूत के तौर पर मैं इसका इंतजार कर रहा हूं क्योंकि इससे समय की बचत होगी. मैं न केवल राजनीति में बल्कि व्यापार में भी सुचारू सहयोग की उम्मीद कर रहा हूं.’ चीन और भारत, विकास सहयोग में एक-दूसरे को लाभान्वित कर रहे हैं. भारत-चीन वाणिज्यिक सहयोग ने लंबे समय तक अच्छी गति बनाये रखी है. इस वर्ष भारत में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने 2.4 लाख वीजा जारी किये हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत बिजनेस वीजा थे. राजदूत ने कहा कि चीन, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है और द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है. चीन को भारत के साथ व्यापार ‘सरप्लस’ का लाभ मिलता है. उन्होंने कहा, !चीनी उत्पादों पर कर और प्रतिबंध लगाना भारत में ‘डाउनस्ट्रीम उद्योगों’ के विकास और उपभोक्ताओं के हितों के लिए अनुकूल नहीं है.’ राजनयिक ने दोनों प्रमुख बाजारों के बीच घनिष्ठ वाणिज्यिक संबंधों की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा, ‘भारत और चीन के बीच संबंध दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में से एक है. जब भारत और चीन सहयोग के लिए हाथ मिलाएंगे, तो इससे दोनों देशों के साथ-साथ पूरे एशिया और पूरे विश्व को लाभ होगा.’

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