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उच्च शिक्षा को आम विद्यार्थियों की पहुंच से बाहर करने की कोशिश की जा रही : मंत्री

स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के लिए प्रमुख निर्णय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा लिये जाते हैं. छात्र स्नातक स्तर पर बांग्ला के साथ-साथ अंग्रेजी में भी ऑनर्स कर सकते हैं.

आपत्ति. यूजीसी की नयी घोषणा पर राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने जताया असंतोषयूजीसी के नये नोटिफिकेशन पर शिक्षाविदों की राय अलग-अलग संवाददाता, कोलकाता स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर के लिए प्रमुख निर्णय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा लिये जाते हैं. छात्र स्नातक स्तर पर बांग्ला के साथ-साथ अंग्रेजी में भी ऑनर्स कर सकते हैं. स्नातकोत्तर स्तर पर भी विभिन्न विषयों का अध्ययन करने के अवसर हैं. यूजीसी की इस नयी घोषणा को लेकर शिक्षाविद् अलग-अलग राय दे रहे हैं. इस संबंध में राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु का मानना है कि इसके जरिये उच्च शिक्षा को और महंगा बनाने की कोशिश की जा रही है. यूजीसी की ओर से गुरुवार को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि न केवल बंगाली या समकक्ष विषय, बल्कि तकनीकी पाठ्यक्रम कोई भी छात्र ले सकता है. इस पर शिक्षा मंत्री ने संदेह व्यक्त किया है कि क्या यूजीसी के मसौदे से छात्रों को कोई फायदा होगा. उनका विचार है कि इसके माध्यम से उच्च शिक्षा का मार्ग सामान्य विद्यार्थियों के लिए दुर्गम बनाया जा रहा है. इस ड्राफ्ट को लेकर शिक्षा मंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इसे देखकर लगता है कि इसमें काफी संभावनाएं हैं, लेकिन वह संभावनाओं के बारे में चुप हैं. विदेश में नकल करने से उच्च शिक्षा व्यवस्था का ढर्रा बदल जायेगा, लेकिन पैसा कहां से आयेगा, यह बड़ा सवाल है. यह उच्च शिक्षा को आमघरों के बच्चों की पहुंच से बाहर कर चुपचाप पिछले दरवाजे से महंगे और निजी क्षेत्र में धकेलने का प्रयास है. सूत्रों के मुताबिक, यूजीसी ने पहले ही उच्च शिक्षा अधिनियम 2024 के संदर्भ में नये पाठ्यक्रम का मसौदा तैयार कर लिया है. बताया जा रहा है कि छात्र ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में दो विषयों की पढ़ाई कर सकते हैं. प्रवेश साल में दो बार यानि कि जुलाई या अगस्त और जनवरी या फरवरी में लिया जायेगा. एक छात्र के पास दो पाठ्यक्रमों में से एक को बीच में छोड़ने का विकल्प होगा.

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