Calcutta High Court : कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार से कहा कि वह आरजी कर अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर से दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना के विरोध में 27 अगस्त को राज्य सचिवालय ‘नबान्न अभियान’ के तहत निकाले गये मार्च के सिलसिले में चार छात्र नेताओं की गिरफ्तारी से संबंधित सभी दस्तावेज पेश करे. अदालत ने उनकी गिरफ्तारी और 24 घंटे बाद रिहाई के औचित्य पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या पुलिस ने उन्हें हिरासत में लेने में उचित प्रक्रियाओं का पालन किया था.
हाईकोर्ट का सवाल ऐसे तो पुलिस किसी को भी कर सकती है गिरफ्तार
ऐसे तो पुलिस किसी को भी कभी भी गिरफ्तार कर सकती है और छोड़ सकती है. राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि हावड़ा शहर पुलिस ने एहतियाती तौर पर उन्हें गिरफ्तार किया था, क्योंकि पुलिस को अंदेशा था कि ये लोग पश्चिम बंग छात्र समाज के बैनर तले ‘नबान्न’ तक विरोध मार्च के दौरान गंभीर गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं. न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज ने पूछा कि किस तरह की गड़बड़ी की आशंका थी और फिर उन्हें बाद में क्यों रिहा किया गया.
अदालत ने क्या दिया निर्देश
अदालत ने राज्य सरकार को गिरफ्तारियों से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेज मंगलवार तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ताओं के वकील राजदीप मजूमदार ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारियां गैरकानूनी हैं. उन्होंने कहा कि वह चार लोगों को हिरासत में रखने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई और मुआवजे के लिए अदालत से आदेश का आग्रह कर रहे हैं.
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हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई पर जाहिर की नाराजगी
गौरतलब है कि इससे पहले, एक मामले की सुनवाई के दौरान नबान्न अभियान को लेकर कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की है. पिछले दिनों कोर्ट ने कहा था कि अगर आरजी कर की घटना नहीं हुई होती, तो पश्चिम बंग छात्र समाज का अस्तित्व नहीं होता. अदालत ने कहा कि हजारों आम लोग विरोध रैली में शामिल हुए और प्रदर्शनकारियों की स्थिति ने सभी बाधाओं और सीमाओं को पार कर दिया.
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