सात करोड़ के भ्रष्टाचार मामले में हाइकोर्ट ने सीबीआइ से मांगी रिपोर्ट
केंद्रीय एजेंसी को 21 जनवरी, 2025 तक जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश
केंद्रीय एजेंसी को 21 जनवरी, 2025 तक जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) में सात करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) से फिर जांच रिपोर्ट तलब की है. बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने कहा कि जब सार्वजनिक क्षेत्र की बैंक स्वयं यह शिकायत कर रहा है कि इस भ्रष्टाचार में बैंक के कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं, तो राज्य को सीबीआइ जांच की अनुमति देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए? न्यायाधीश ने कहा कि सीबीआइ की यह शिकायत विश्वसनीय नहीं है. उन्होंने कहा कि सीबीआइ इस तरह के हथकंडे इसलिए अपना रही है, क्योंकि वह मामले की जांच नहीं करना चाहती है. ऐसा नहीं हो सकता कि जिन मामलों का मन हो, उन मामलों की जांच तो वह करेगी और जिन मामलों की जांच वह नहीं चाहती, उन मामलों की जांच अपने हाथ में न ले. न्यायाधीश ने सवाल उठाते हुए कि सीबीआइ राज्य में कई मामलों की जांच कर रही है और अब कह रही है कि इस मामले में राज्य की मंजूरी जरूरी है. कोर्ट ने सीबीआइ के बयान पर जतायी हैरानीछ इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हर चीज का राजनीतिकरण किया जा रहा है. वे इस मामले से बचना चाहते हैं, क्योंकि सीबीआइ पर पहले से ही काम का भारी बोझ है. 2022 में, एसबीआइ ने वित्तीय भ्रष्टाचार के आरोप की सूचना दी, लेकिन करीब दो साल के बाद अब सीबीआइ कह रही है कि 2018 के बाद से राज्य ने सीबीआइ जांच के लिए अपनी पिछली सहमति वापस ले ली है. इसलिए, अगर एसबीआइ इस मामले की जांच करती है, तो उसे राज्य की मंजूरी की आवश्यकता होगी. न्यायाधीश ने सीबीआइ के इस बयान पर आश्चर्य जताया. आरबीआइ की गाइडलाइन के मुताबिक, छह करोड़ रुपये से ज्यादा का भ्रष्टाचार होने पर बैंकों को सीबीआइ में शिकायत दर्ज करानी होती है. फिर एसबीआइ ने कलकत्ता हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद हाइकोर्ट ने निर्देश दिया कि यदि सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच की है, तो इसकी रिपोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपनी होगी. कोर्ट ने सीबीआइ को 21 जनवरी तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया. साथ ही न्यायाधीश ने कहा, अगर यह पाया जाता है कि इस वित्तीय भ्रष्टाचार में एसबीआइ का कोई कर्मचारी शामिल है, तो राज्य को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. क्योंकि, यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि वित्तीय भ्रष्टाचार की जांच केवल राज्य की मंजूरी के सवाल पर रुक जायेगी. उन्होंने कहा कि अगर राज्य की अनुमति नहीं होने के आधार पर जनता के पैसे के साथ धोखाधड़ी के मामलों की जांच सीबीआइ नहीं करेगी, तो आने वाले दिनों में बड़ी समस्या पैदा हो जायेगी.
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