संजय को मृत्युदंड देने की मांग को लेकर हाइकोर्ट पहुंची सीबीआइ
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या की जघन्य घटना में सजायाफ्ता संजय राय को मृत्युदंड देने की मांग को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने कलकत्ता हाइकोर्ट का रुख किया है.
आरजी कर. केंद्रीय एजेंसी ने बैठक कर उच्च न्यायालय जाने का लिया फैसला
संवाददाता, कोलकाताआरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या की जघन्य घटना में सजायाफ्ता संजय राय को मृत्युदंड देने की मांग को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने कलकत्ता हाइकोर्ट का रुख किया है. सियालदह कोर्ट के अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने संजय राय को आजीवन कारावास की सजा सुनायी है. उसे यह सजा भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 64 (दुष्कर्म), 66 (पहुंचाये गये गंभीर चोट के कारण मृत्यु होना) और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी पाये जाने के बाद सुनायी गयी है. बताया जा रहा है कि मामले की जांच कर रही सीबीआइ निचली अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं है. केंद्रीय जांच एजेंसी अब दोषी राय को सर्वोच्च सजा दिये जाने यानी मृत्युदंड देने की मांग पर हाइकोर्ट पहुंची है. सूत्रों की मानें, तो बुधवार को मामले को लेकर सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक भी हुई. सूत्रों के अनुसार, इसी दिन राय को लेकर निचली अदालत में दिये गये फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में सीबीआइ की ओर से ऑनलाइन माध्यम से याचिका दायर की गयी है. संजय राय को सर्वोच्च सजा देने की मांग सीबीआइ ने निचली अदालत में पहले ही की थी. गत सोमवार को संजय को सजा सुनाये जाने के ठीक पहले सीबीआइ की ओर से अदालत के समक्ष दलीलें रखी गयी थीं कि ‘संजय का अपराध रेयरेस्ट ऑफ द रेय’ है.उसे अगर सर्वोच्च सजा यानी मृत्युदंड नहीं मिला, तो समाज भरोसा खो देगा. आरजी कर में हुई घटना कोई मामूली अपराध नहीं है. महिला चिकित्सक की बड़ी निर्ममता से हत्या की गयी है. सीबीआइ समाज में लोगों का विश्वास बनाये रखने के लिए दोषी को कड़ी से कड़ी सजा का अनुरोध करती है.” हालांकि, सियालदह कोर्ट के न्यायाधीश ने उक्त घटना को ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ नहीं माना और संजय राय को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. सीबीआइ के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी को कानूनी सलाह मिली है कि इस मामले को ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में रखा जा सकता है एवं दोषी के लिए मृत्युदंड ही उचित है. बताया जा रहा है कि बुधवार को ही मामले को लेकर सियालदह कोर्ट के आदेश के खिलाफ मृत्युदंड के पक्ष में विस्तृत दलीलों के साथ अपील दायर की गयी है.
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