संवाददाता, कोलकाता
आरजी कर मामले में कोलकाता के सियालदह अदालत में सीबीआइ को बड़ा झटका लगा है. केंद्रीय जांच एजेंसी ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट से संदीप घोष को अपनी हिरासत में लेने की मांग की थी. यह सुनते ही न्यायाधीश ने सवाल किया कि अबतक वे जेल में कितनी बार जाकर पूछताछ कर चुके हैं. जेल जाकर पूछताछ करने में क्या दिक्कत है? न्यायाधीश की तरफ से यह सवाल उठाया गया. इसके बाद सीबीआइ ने अपनी अर्जी वापस ले ली.
अदालत सूत्र बताते हैं कि सीबीआइ ने अपनी याचिका वापस लेने के बाद आरोपियों के जेल हिरासत या पुलिस हिरासत बढ़ाने की मांग भी नहीं की,जिससे सीबीआइ को अदालत में इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश से एकबार फिर फटकार खानी पड़ी. सीबीआइ की इस भूमिका से न्यायाधीश ने काफी नाराजगी जाहिर की, जिसके बाद संदीप एवं अभिजीत मंडल की न्यायिक हिरासत की अवधि अगले 14 दिनों के लिए बढ़ाने का निर्देश दिया गया. अदालत सूत्र बताते हैं कि सोमवार को सियालदह कोर्ट में आरजी कर मामले की सुनवाई हुई.
वहीं, केंद्रीय जांच एजेंसी ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला थाने के पूर्व ओसी अभिजीत मंडल को तीन दिनों के लिए अपनी रिमांड पर लेने की याचिका दायर की. उन्हें कहा कि उन्हें सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन से कुछ जानकारी मिली है. वह संदीप और अभिजीत से आमने-सामने बैठाकर पूछताछ कर उनसे इसका जवाब चाहते है. वहीं, संदीप के वकील ने दावा किया कि इसके पहले सीबीआइ ने संदीप को अपनी हिरासत में लिया था, लेकिन उनसे पूछताछ नहीं की. इसके बाद अदालत ने सीबीआइ से सवाल किया कि जब से संदीप और अभिजीत जेल गये हैं, इसके बाद सीबीआइ उन दोनों से कितनी बार जेल में जाकर पूछताछ की है. दोनों ने क्या किसी तरह का असहयोग किया है. जेल में पूछताछ करने से उन्हें क्या दिक्कत है.
सीबीआइ की तरफ से पेश की गयी नयी याचिका को देखकर न्यायाधीश हैरान रह गये. उसमें देखा गया कि सीबीआइ ने हिरासत की याचिका वापस लेने के बाद दायर अन्य याचिका में आरोपियों को जेल या पुलिस हिरासत में भेजने का जिक्र नहीं किया. इसके बाद संदीप के वकील ने कहा, सीबीआइ की इस याचिका के आधार पर वह अपने मुवक्किल के लिए जमानत का आवेदन कर सकते हैं. इस नयी याचिका को लेकर सीबीआइ की भारी आलोचना हुई, जिसके बाद सीबीआइ ने दोनों आरोपियों को 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेजने का अदालत में आवेदन किया. न्यायाधीश ने सख्ती से कहा, अगली बार जब आपकी तरफ से अदालत में आवेदन किया जाये, तो ध्यान रहे कि इस तरह की गलती दोबारा न हो.
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