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पंडालों में दिखेंगे उत्सव के साथ विरोध के भाव

आरजी कर कांड का असर. दुर्गा पूजा आयोजकों ने चुना महिला सुरक्षा का संदेश देने वाला विषय

आरजी कर कांड का असर. दुर्गा पूजा आयोजकों ने चुना महिला सुरक्षा का संदेश देने वाला विषय नेशनल कंटेंट सेल. थीम आधारित भव्य पूजा पंडालों और रंग-बिरंगे लाइटों की चकाचौंध के लिए प्रसिद्ध बंगाल में इस दुर्गा पूजा को लेकर उत्साह कम देखने को मिल रहा है. महीने भर पहले से जहां लोग ‘पूजो आसछे-पूजो आसछे’ कहते नहीं थकते थे, वहीं इस बार लोगों के बीच उदासी का माहौल है. आरजी कर अस्पताल विवाद का असर पूरे महानगर में दिख रहा है. बाजारों में रौनक नहीं है. लोग घर से निकलने में परहेज कर रहे हैं. दुर्गा पूजा आयोजकों के बीच भी असमंजस की स्थिति है. महीनों पहले तय किये गये थीम और योजना में बदलाव करना पड़ रहा है. डॉक्टरों के प्रदर्शन के बीच कुछ आयोजकों ने महिला सुरक्षा के मुद्दे को उठाते हुए अपने मूल विषय में बदलाव भी कर लिये हैं. मध्य कोलकाता में ‘संतोष मित्रा स्क्वायर पूजा’ के महासचिव सजल घोष ने कहा कि योजना में थोड़ा बदलाव करते हुए हमारा गोलाकार पंडाल महिलाओं के साथ अन्याय के खिलाफ विरोध का प्रतीक होगा. पंडाल से बाहर निकलते समय, ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे गूंजेंगे, जो उत्सव और विरोध का मिश्रण होगा. एक अन्य आयोजक ने लोगों द्वारा किये गये विरोध प्रदर्शनों की झलक दिखाने का निर्णय लिया है. एक अन्य पूजा पंडाल में जीवन रक्षक तकनीक के जरिये खुद को सुरक्षित रखने का संदेश फैलाने की योजना बनायी गयी है. एक आयोजक ने पंडाल के पास एक बड़ा बैनर लगाने का फैसला किया है, जिसमें नौ अगस्त को एक सरकारी अस्पताल में कथित तौर पर दुष्कर्म के बाद हत्या की शिकार हुई एक महिला चिकित्सक के लिए न्याय की मांग की जायेगी. इन सब चीजों को पूजा के मूल विषयों में जोड़ा गया है. बच्चों तक में उत्साह नहीं, हर कोई घटना पर कर रहा बात कोलकाता में पूजा को लेकर बच्चों तक के उत्साह में कमी आयी है. सभी घटना के बारे में बात कर रहे हैं और न्याय का इंतजार कर रहे हैं. एक प्राइवेट ट्यूटर ने बताया कि मुझे युवा पीढ़ी में, यहां तक कि कक्षा नौ और 10 के छात्रों में पूजा को लेकर कोई खुशी नहीं दिखती. वे सभी डरे हुए हैं और न केवल लड़कियां, बल्कि लड़के भी घटना के बारे में बात कर रहे हैं. वह स्वयं इस साल दुर्गा पूजा को लेकर उत्साहित नहीं हैं. एक सरकारी कर्मचारी ने कहा कि जब वह पिछले वीकेंड खरीदारी करने के लिए एक मॉल में गयी, तो मुझे खुद में अपराधबोध हुआ. मैंने तुरंत शोक संतप्त परिवार के बारे में सोचा. अगर चीजें ठीक होतीं, तो वे भी हर दूसरे बंगाली परिवार की तरह उत्सव के मूड में होते. जब भी मैं शहीद के साथ हुई क्रूरता के बारे में सोचता हूं, तो मेरा दिल बैठ जाता है. मैं खुद को इस पूजा का आनंद लेते हुए नहीं देख सकता.

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