बांग्लादेश में हिंदू उत्पीड़न पर केंद्र व राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग

अखिल भारतीय संत समिति के आह्वान पर बड़ाबाजार स्थित सत्संग भवन में एक प्रतिवाद सभा का आयोजन किया गया

By Prabhat Khabar News Desk | December 6, 2024 10:30 PM

कोलकाता.बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार के विरोध में अखिल भारतीय संत समिति के आह्वान पर बड़ाबाजार स्थित सत्संग भवन में एक प्रतिवाद सभा का आयोजन किया गया. सभा में उपस्थित संतों ने बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास सहित अन्य संन्यासियों की बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए सभी सनातनी धर्मावलंबियों की सुरक्षा की मांग करते हुए बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदु समुदाय पर हो रहे अत्याचार की घटनाओं को अमानवीय और शर्मनाक बताया. विश्व शांति चाहने वाले सभ्य समाज के लिए यह एक गंभीर चिंतन का विषय है. सभा को संबोधित करते हुए निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार दोनों को ही इस संबंध में बांग्लादेश सरकार से बातचीत करनी चाहिए. वहां के अल्पसंख्यक हिंदू समाज की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. अहिंसा को परमोधर्म मान कर चलने वाले सनातनी हिंदू धर्मावलंबियों पर अत्याचार की घटनाएं विचलित करने वाली हैं और यह अविलंब रुकनी चाहिए. ब्रह्ममयी काली मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मानंद महाराज ने कहा कि जिस तरह से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है, वह गंभीर और चिंताजनक है. जहां महिलाओं का सम्मान होता है, वहीं देवता रमण करते हैं. अखिल भारतीय संत समिति के कार्यकर्ता इस मामले में हस्तक्षेप के लिए केंद व राज्य सरकार, राज्यपाल को शीघ्र ज्ञापन सौंपेंगे. वायुसेना पदक से अलंकृत विंग कमांडर डीजे क्लेर ने कहा कि वर्ष 1971में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारतीय सैन्य अधिकारियों के शौर्य, पराक्रम की यादें आज भी ताजा है. उनके पिता मेजर जनरल हरदेव सिंह क्लेर को महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. शेख हसीना की सरकार को गिराने के बाद सत्ता संभालने वाली सरकार ने जिस तरह से देशद्रोह के आरोप में इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार किया, उसने बांग्लादेश सरकार के वर्तमान रवैये के बारे में सोचने को मजबूर कर दिया है. बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम से जुड़ा भारत का योगदान आज निष्फल जाता प्रतीत हो रहा है. प्रतिवाद सभा में स्वामी कालिकानंद, संजय ब्रह्मचारी, पंडित विष्णु झा, श्रीबंधु गोपीदास, राजेंद्र कुमार सोनी, महेश आचार्य, अभय पाण्डेय सहित काफी संख्या में साधु संत समाज भी उपस्थित था.

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