कोलकाता. राज्य के मेडिकल कॉलेजों में रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष पद पर संबंधित कॉलेजों के प्रिंसिपल को ही अब नियुक्त किया जायेगा. राज्य सचिवालय के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐसा ही निर्देश दिया है. राज्यभर में डॉक्टरों के आंदोलन के बीच रोगी कल्याण समिति में बदलाव का काफी महत्वपूर्ण माना जा है. यह पहली बार है, जब अस्पतालों में रोगी कल्याण समिति में सत्ताधारी दल का एक प्रतिनिधि नहीं रखने का फैसला किया गया है. वामपंथ में भी प्रत्येक सरकारी अस्पताल का प्रभारी पार्टी नेताओं को रखने की व्यवस्था थी. लेकिन अब इसे बदला जा रहा है. गौरतलब है कि आरजी कर अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या की घटना के बाद रोगी कल्याण समिति को लेकर कई सवाल उठने लगे. इसलिए यह कदम उठाया गया है ताकि कोई और विवाद न हो. इस संबंध में ममता बनर्जी ने स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम से कहा है कि अब से अस्पताल के प्रिंसिपल खुद रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष होंगे. एसोसिएशन में उनके साथ एक नर्स भी रहेगी और स्थानीय थाने का आईसी को भी शामिल किया जायेगा. इसके अलावा एक सीनियर डॉक्टर, एक जूनियर डॉक्टर और एक स्थानीय विधायक को रखा जायेगा. किसी और को एसोसिएशन में रखने की जरूरत नहीं है. जो लोग अस्पताल से सीधे जुड़े हैं, उन्हें रहने दें. गौरतलब है कि राज्य के बिजली मंत्री अरूप विश्वास एसएसकेएम अस्पताल के रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष हैं. जबकि कलकत्ता मेडिकल कॉलेज रोगी कल्याण समिति के अध्यक्ष विधायक डॉ सुदीप्त रॉय और इंटाली के तृणमूल कांग्रेस विधायक स्वर्ण कमल साहा नेशनल मेडिकल कॉलेज पेशेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं.
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