Coronavirus Lockdown: हाल बंगाल का, एलोपैथी डॉक्टर व्यस्त, आयुष चिकित्सक मस्त
सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद कोरोनावायरस (कोविड-19) का संक्रमण थम नहीं रहा है. अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 15 लोग कोरोना से संक्रमित हैं. 26 हजार से अधिक लोग होम क्वारेंटाइन हैं. ऐसी स्थिति में गांव से शहर तक के लोगों से एहतियात बरतने की अपील की गयी है. ग्रामीण इलाकों में पंचायत स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य की देखरेख का जिम्मा आयुष डॉक्टरों पर भी है. लेकिन राज्य में पंचायत स्तर पर कार्यरत कुल 1600 आयुष डॉक्टरों को छुट्टी दे दी गयी है.
महामारी के समय 1600 आयुष डॉक्टरों को भेज दिया छुट्टी पर
शिव कुमार राउत
कोलकाता : सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद कोरोनावायरस (कोविड-19) का संक्रमण थम नहीं रहा है. अब तक प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 15 लोग कोरोना से संक्रमित हैं. 26 हजार से अधिक लोग होम क्वारेंटाइन हैं. ऐसी स्थिति में गांव से शहर तक के लोगों से एहतियात बरतने की अपील की गयी है. ग्रामीण इलाकों में पंचायत स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य की देखरेख का जिम्मा आयुष डॉक्टरों पर भी है. लेकिन राज्य में पंचायत स्तर पर कार्यरत कुल 1600 आयुष डॉक्टरों को छुट्टी दे दी गयी है.
बता दें कि राज्य के कई बड़े मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों के डॉक्टरों पर कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों के इलाज का दबाव है. कई बड़े अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड तैयार कर कोरोनावायरस पीड़ितों की चिकित्सा की जा रही है. इसके तहत ही राज्य सरकार की ओर से हाल में एक निर्देशिका जारी कर राज्यवासियों से अपील की गयी कि बहुत जरूरी ना हो तो अस्पताल के आउटडोर में ना जाएं.
महामारी के वक्त जहां एलोपैथी चिकित्सक समेत अन्य स्वास्थ्यकर्मी कंधे से कंधा मिलाकर कोरोनावायरस संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे हैं, वहीं पंचायतस्तर पर कार्यरत करीब 1600 मेडिकल ऑफिसरों (आयुष डाक्टरों) को छुट्टी पर भेज दिया गया है. यानी ऐलोपैथी चिकित्सक इलाज करने में व्यस्त हैं और आयुष चिकित्सक अपनी छुट्टी में मस्त हैं. अब सवाल यह उठता है कि गांव में रहने वाला कोई व्यक्ति यदि बीमार पड़ता है, तो वह इलाज कराने कहां जायेगा. लॉकडाउन के चलते चिकित्सा कराने वह अन्यत्र भी नहीं जा सकता.
बता दें कि ग्राम पंचायत आयुष मेडिकल ऑफिसर जिला परिषदों के अधीन कार्य करते हैं. कोरोना के मद्देनजर राज्यभर के सरकारी अस्पतालों में ओपीडी लगभग बंद हैं. पंचायत कार्यालयों में ही आयुष क्लिनिक चलाया जाता है. लेकिन कार्यालय बंद होने के कारण क्लिनिक भी बंद हैं. परिणामस्वरूप आयुष चिकित्सक अवकाश मना रहे हैं. इस विषय में एक आयुष मेडिकल ऑफिसर ने बताया कि राज्य में कोरोना तेजी से बढ़ रहा है.
मौजूदा हालात में एलोपैथी चिकित्सकों पर काफी दबाव है. ऐसी विकट स्थिति में कोरोना संक्रमित या उसके संदिग्ध मरीजों की इलाज एवं देखभाल का जिम्मा आयुष चिकित्सकों को भी सौंपा जाए. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के लिए आयुष मेडिकल ऑफिसर जिलास्तर पर स्कूली बच्चों की स्क्रीनिंग करते हैं. जांच करते हैं कि बच्चा किसी बीमारी से जूझ रहा है या नहीं. लेकिन कोरोनावायरस के कारण 14 अप्रैल तक सभी स्कूल बंद हैं.
फिलहाल कोरोना को फैलता देख आरबीएसके मेडिकल ऑफिसर बाहर से आनेवाले लोगों की शारीरिक जांच में जुटे हैं. ऐसी विषम परिस्थिति में ग्राम पंचायत आयुष मेडिकल ऑफिसरों को क्यों छुट्टी पर रखा गया है, समझ से परे है. ज्ञात हो आयुष में आयुर्वेद, होमियोपैथी, यूनानी चिकित्सा पद्धति आती है. हर जिले में 70 से 75 ग्राम पंचायत आयुष मेडिकल ऑफिसर नियुक्त किये गये हैं.